पटना। बिहार में आरजेडी और जेडीयू मिलकर सरकार जरूर चला रहे हैं, लेकिन आए दिन उनके बीच खटपट भी होती रहती है। एक बार फिर आरजेडी और जेडीयू के बीच यही खटपट सामने आई है और इसकी वजह सीएम नीतीश कुमार बने हैं। दरअसल, नीतीश कुमार ने रविवार को भीम सम्मेलन कार्यक्रम में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के राज के दौर का मसला उठा दिया था। नीतीश कुमार ने कहा था कि 2005 से पहले दलितों के उत्थान के लिए कोई ध्यान नहीं देता था। इसी पर लालू के करीबी और आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है। शिवानंद तिवारी ने पहले तो भीम सम्मेलन के लिए नीतीश कुमार को बधाई दी और फिर कहा कि नीतीश जी ये क्यों भूल जाते हैं कि इसी बिहार में कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता को भी कैसी-कैसी गालियां दी गई थीं।
शिवानंद तिवारी ने नीतीश को निशाने पर लेते हुए कहा कि दबे हुए समाज से लालू यादव सीएम बने थे। तब जाति से बड़े लोगों के सामने तो दलितों की बात क्या कहें, अधिकतर पिछड़ों का भी खटिया या कुर्सी पर बैठना उद्दंडता माना जाता था। शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार के उस सामंती समाज में लालू की सरकार बनी, तो उन्होंने दलितों को लक्ष्य पर रखकर सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि 1990 में इंदिरा आवास योजना के तहत 2 साल में 60000 घर बनाकर दिए गए। शिवानंद ने कहा कि हटाए जाने वाले 3 लाख गरीबों को 1996 तक पक्का घर भी मिल गया। आगे उन्होंने कहा कि आभिजात्य लोग लालू यादव का ये काम अपराध मानते हैं और आज भी गाली देते हैं। शिवानंद ने कहा कि इसलिए नीतीश जी से अनुरोध करेंगे कि अब वे परिवार बढ़ गए हैं, तो उनके घरों का विस्तार कीजिए और नए आवास बनवाइए।
शिवानंद तिवारी ने पहली बार नीतीश कुमार पर निशाना नहीं साधा है। इससे पहले भी तमाम बार वो नीतीश कुमार के बारे में बयान दे चुके हैं। यहां तक कि सरकार में आरजेडी और जेडीयू के साथ-साथ रहने के बाद भी शिवानंद तिवारी हमेशा सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर रहे। एक बार तो शिवानंद तिवारी ने ये भी कह दिया था कि नीतीश कुमार को कमंडल लेकर आश्रम चले जाना चाहिए। नीतीश कुमार की तुलना महात्मा गांधी से किए जाने पर भी शिवानंद तिवारी ने सवाल उठाए थे।