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RJD MLA Slams Nitish: नीतीश कुमार के खिलाफ फिर उठी सहयोगी आरजेडी में आवाज, विधायक सुधाकर सिंह बोले- इनका एजेंडा सिर्फ सत्ता है

सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार पर मोदीफाइड होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बेहतर है कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। आरजेडी विधायक ने कहा कि 2005 की जीडीपी में बिहार राष्ट्रीय औसत में 3.5 फीसदी था। अब 3.4 फीसदी हो गया है। सुधाकर के मुताबिक नीतीश के नेतृत्व में बिहार पीछे चला गया है।

पटना। आरजेडी के साथ बिहार में सरकार चला रहे सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ सहयोगी दल के विधायक ही लगातार निशाना साध रहे हैं। आरजेडी के विधायक और नीतीश सरकार में कृषि मंत्री रहे सुधाकर सिंह ने फिर एक बार नीतीश पर निशाना साधते हुए उनपर कुर्सी के मोह का आरोप लगाया है। सुधाकर सिंह ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि नीतीश के नेतृत्व में बिहार का कामकाज ठीक नहीं चल रहा। उन्होंने कहा कि मैं पिछले 6 महीने से ये कह रहा हूं। सुधाकर ने कहा कि बिहार में कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में बिल्कुल काम नहीं हो रहा है। न तो नीतीश मंडी कानून के पक्ष में हैं। न खेतों में पानी पहुंचा रहे हैं। न शिक्षा को ठीक कर रहे हैं। उनका एजेंडा सिर्फ कुर्सी पर बने रहना है। खास बात ये है कि सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह बिहार आरजेडी के अध्यक्ष हैं।

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आरजेडी के नेता और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह।

सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार पर मोदीफाइड होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बेहतर है कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। आरजेडी विधायक ने कहा कि 2005 की जीडीपी में बिहार राष्ट्रीय औसत में 3.5 फीसदी था। अब 3.4 फीसदी हो गया है। सुधाकर के मुताबिक नीतीश के नेतृत्व में बिहार पीछे चला गया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बदल देना चाहिए। सुधाकर ने कहा कि तेजस्वी यादव हमारे नेता हैं और मुख्यमंत्री के तौर पर उनमें भविष्य है। उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि नीतीश की जेडीयू सत्ता भोगने वालों का झुंड है। वो वैचारिक आधार की पार्टी नहीं है। सुधाकर इससे पहले भी कई बार नीतीश पर निशाना साध चुके हैं।

nitish kumar

बता दें कि आरजेडी के ही नेता और लालू-तेजस्वी के खास शिवानंद तिवारी भी नीतीश पर कई बार हमले कर चुके हैं। शिवानंद ने तो एक बार ये भी कहा था कि नीतीश को आश्रम चले जाना चाहिए। नीतीश हालांकि न तो शिवानंद और न ही सुधाकर सिंह के बयानों पर अब तक कुछ बोले हैं, लेकिन सहयोगी दलों के नेताओं के कटु वचन इन कयासों को बल देते रहते हैं कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है।