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Supreme Court: रोहिंग्या को सुप्रीम कोर्ट ने माना अवैध प्रवासी, रिहाई की मांग खारिज, म्यांमार भेजने का रास्ता साफ

Supreme Court: डिटेंशन सेंटर में जम्मू में रखे गए करीब 150 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार भेजने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला देते हुए कहा कि इसमें कानून के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाए। साथ ही कोर्ट ने डिटेंशन सेंटर में रखे गए रोहिंग्या को हिरासत से रिहा करने की मांग को खारिज कर दिया।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जम्मू के उपजेल में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं। उन्हें कानून का पालन किए बगैर डिपोर्ट नहीं किया जा सकता। डिटेंशन सेंटर में जम्मू में रखे गए करीब 150 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार भेजने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला देते हुए कहा कि इसमें कानून के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाए। साथ ही कोर्ट ने डिटेंशन सेंटर में रखे गए रोहिंग्या को हिरासत से रिहा करने की मांग को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका सलीमुल्लाह नाम के शख्स ने दायर की था। याचिका में जम्मू में कैंप में रखे गए करीब 150 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को रिहा करने की मांग की गई थी।

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सलीमुल्लाह की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान पिछले साल अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की जान को खतरा है और ऐसे में इन लोगों को वहां डिपोर्ट करना मानवाधिकार का उल्लंघन है।

साथ ही याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि म्यांमार में अभी स्थिति खराब है। म्यांमार में सेना, रोहिंग्या बच्चे को मार रहे हैं और यौन प्रताड़ना हो रही है। जम्मू में हिरासत में लिए गए लोगों के पास रिफ्यूजी कार्ड है और उन्हें सरकार डिपोर्ट करने वाली है। इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा था कि वो केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि जो रोहिंग्या हिरासत में रखे गए हैं, उन्हें रिहा किया जाए और वापस म्यांमार ना भेजा जाए। प्रशांत भूषण ने कहा था कि रोहिंग्या बच्चों की हत्याएं कर दी जाती है और उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है तथा म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने में नाकाम रही है।