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Russia-India Payment Deal: अमेरिका और पश्चिमी देशों को भारत और रूस देंगे तगड़ा झटका, इस मामले में तोड़ेंगे वर्चस्व

इस बैठक में रूस और भारत मिलकर लोरो LORO या नोस्त्रो NOSTRO पेमेंट सिस्टम लागू करने का फैसला करेंगे। इन पेमेंट सिस्टम में दोनों देश एक-दूसरे के यहां अपने खाते खोल सकेंगे। दोनों देशों के बीच हर तरह का पेमेंट इन्हीं सिस्टम के जरिए आने वाले समय में होने की उम्मीद है।

नई दिल्ली। यूक्रेन से जारी जंग और इस वजह से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस अपने पुराने दोस्त भारत के साथ मिलकर ऐसा फैसला अगले हफ्ते ले सकता है, जिससे अमेरिका और यूरोपीय देशों के मुद्रा बाजार पर एकाधिकार और वर्चस्व को तोड़ा जा सकता है। दोनों देशों के बीच बुधवार और गुरुवार को एक अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक RBI, बैंक ऑफ रशिया BOR के अलावा कुछ भारतीय बैंकों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। बैठक में दोनों देश पेमेंट यानी लेनदेन का नया सिस्टम तैयार करने पर फैसला कर सकते हैं। बता दें कि रूस पर पश्चिमी देशों ने अपने यहां विकसित स्विफ्ट SWIFT सिस्टम से लेन-देन पर पाबंदी लगा दी है।

rouble and rupee

सूत्रों के हवाले से अंग्रेजी अखबार ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ ने इस बैठक के बारे में जानकारी दी है। दिल्ली में होने वाली इस बैठक में रूस और भारत मिलकर लोरो LORO या नोस्त्रो NOSTRO पेमेंट सिस्टम लागू करने का फैसला करेंगे। इन पेमेंट सिस्टम में दोनों देश एक-दूसरे के यहां अपने खाते खोल सकेंगे। इससे भारत और रूस के बीच जिन चीजों का आयात और निर्यात होगा, उसका पेमेंट रुपए और रूबल Rouble में करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। भारत पहले से ही रूस को कई चीजों के लिए रुपए में पेमेंट करता रहा है। वहीं, रूस भी भारत से व्यापार में रुपए और रूबल दोनों से लेन-देन करता है।

crude oil

बता दें कि पुराने दोस्त रूस से भारत की दोस्ती यूक्रेन से जारी जंग के बीच और मजबूत हुई है। सऊदी अरब को पीछे छोड़कर रूस अब भारत को कच्चे तेल की सप्लाई करने वाला दूसरा देश बन गया है। मई में ही रूस से भारत ने करीब 2.5 करोड़ बैरल कच्चा तेल खरीदा है। ये भारत की ओर से हर साल खरीदे जाने वाले कच्चे तेल का 16 फीसदी हिस्सा है। भारत को कच्चा तेल बेचने में अब सऊदी अरब नंबर 3 पर आ गया है। खबर ये भी है कि भारत अब ब्राजील से भी कच्चा तेल खरीद सकता है। माना जा रहा है कि कच्चे तेल के लिए भारत अब खाड़ी देशों पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहता।