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Delhi Liquor Policy Case: नहीं थम रही संजय सिंह की मुश्किलें, अब इतने दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजे गए आप नेता

Delhi Liquor Policy Case: इसी बीच आज संजय सिंह को दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में पेश किया गया। आप नेता को उम्मीद थीं कि उन्हें राहत मिल सकेगी, लेकिन अफसोस अदालत ने उन्हें 10 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वहीं, आज उनकी जमानत याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिसमें यह फैसला किया जाएगा कि उनके लिए सलाखों के दरवाजे खुलते हैं की नहीं ?

नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला मामले में सलाखों के पीछे बंद आप नेता संजय सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कई दफा वो अदालत से राहत की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी विधिक दुश्वारियों पर विराम नहीं लग पा रहा है। इसी बीच आज संजय सिंह को दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में पेश किया गया। आप नेता को उम्मीद थीं कि उन्हें राहत मिल सकेगी, लेकिन अफसोस अदालत ने उन्हें 10 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वहीं, आज उनकी जमानत याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिसमें यह फैसला किया जाएगा कि उनके लिए सलाखों के द्वार खोले जाए या नहीं ?

ध्यान दें, बीते दिनों इस मामले में आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी ईडी ने समन भेजा था। अब तक उन्हें दो दफा जांच एजेंसी की ओर से बुलावा भेजा जा चुका है, लेकिन विडंबना देखिए कि उन्होंने एक बार भी जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने की जहमत नहीं उठाई है। पहली दफा उन्होंने चुनाव प्रचार में मशगूल होने की बात कहकर समन को नजरअंदाज कर दिया था। वहीं, दूसरी दफा उन्होंने विपशना में जान की बात कही, जिस पर बीजेपी भी निशाना साधने से कोई गुरेज नहीं किया। उधर, आप का कहना है कि हमारी पार्टी को दिग्भ्रमित करने के मकसद से बीजेपी सोची- समझी साजिश के तहत यह सबकुछ कर रही है।

arvind kejriwal

आपको बता दें कि अब तक इस मामले में आप के तीन बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह का नाम शामिल हैं। फिलहाल ये तीनों ही नेता सलाखों की हवा काट रहे हैं। उधर, संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया था कि अब अगला नंबर सीएम केजरीवाल का है, जो कि अब मूर्त रूप धारण करता हुआ नजर आ रहा है। सनद रहे कि ईडी की ओर से आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक नहीं, बल्कि दो दफा नोटिस भेजा जा चुका है, लेकिन वो एक बार भी पेश नहीं हुए।

क्या है दिल्ली शराब घोटाला ?

ध्यान दें, पुरानी शराब नीति के तहत 60 फीसद सरकारी और 40 फीसद निजी शराब की दुकानें खोलने का प्रावधान था, लेकिन नई शराब नीति लागू किए जाने के बाद सभी दुकानों का निजीकरण कर दिया गया, जिसका बीजेपी ने विरोध किया था। नई शराब नीति के तहत पूरी दिल्ली को 32 जोनों में विभाजित किया गया था। सभी जोनों में 27 दुकानें खोलने का प्रावधान था। इस तरह दिल्ली में कुल मिलाकर 849 दुकानें खोले जाने का प्रावधान था। सरकार ने इसके लिए निजी शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने का फैसला किया था। लाइसेंस प्राप्त करने की फीस भी बढ़ा दी गई थी। पुरानी शराब नीति के समय जहां लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किसी भी कारोबारी को 25 लाख रुपए देने होते थे, तो वहीं नई शराब नीति के लागू किए जाने के बाद इस शुल्क को बढ़ाकर 4 करोड़ रुपए कर दिया गया था, जिसका बीजेपी ने विरोध किया था। बीजेपी का आरोप था कि आप सरकार यह नीति शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से लेकर आई है।

दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि कोरोना जैसी विपदाग्रस्त स्थिति में सरकार ने अपने राजस्व के आकार को बढ़ाने के मकसद से इस शराब नीति को लागू किए जाने का फैसला किया, लेकिन आपको बता दें कि जुलाई 2022 में तत्कालीन मुख्य सचिव ने नई शराब नीति में अनिमतिता का आरोप लगाकर उपराज्यपाल से इसकी सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद बीजेपी दिल्ली सरकार पर हमलावर हो गई थी। वहीं, बाद में जब सीबीआई ने पूरे मामले की जांच शुरू की, तो एक-एक करके सभी आरोपी सलाखों के पीछे आते गए। बहरहाल, मामले की जांच अभी-भी जारी है। ऐसे में अब यह आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।