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Politics: अखिलेश को गच्चा देकर फिर बीजेपी के साथ आने की कोशिश में ओमप्रकाश राजभर! चर्चाओं पर सुभासपा ने कहा ये

राजभर पहले बीजेपी के साथ ही थे। साल 2017 के चुनाव के वक्त बीजेपी के साथ मिलकर लड़े थे और बदले में बीजेपी ने उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाया था। कुछ महीने बाद राजभर अचानक बीजेपी से खफा हो गए। उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से गठबंधन कर लिया था।

नई दिल्ली। क्या सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा के चीफ और अखिलेश यादव की सपा गठबंधन के नेता ओमप्रकाश राजभर एक बार फिर बीजेपी के साथ आने की तैयारी कर रहे हैं ? ये सवाल यूपी में हर तरफ चर्चा में है। शुक्रवार देर रात खबर उड़ी कि ओमप्रकाश राजभर ने दिल्ली में गृहमंत्री और बीजेपी के चाणक्य अमित शाह से मुलाकात की है। बीजेपी ने इस खबर का खंडन नहीं किया है। ओमप्रकाश राजभर ने भी इस बारे में चुप्पी साध रखी है। हालांकि, उनकी पार्टी के प्रवक्ता पीयूष मिश्र ने ट्वीट कर इन खबरों को गलत करार दिया है।

piyush mishra tweet on op rajbhar

दरअसल, राजभर पहले बीजेपी के साथ ही थे। साल 2017 के चुनाव के वक्त बीजेपी के साथ मिलकर लड़े थे और बदले में बीजेपी ने उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाया था। कुछ महीने बाद राजभर अचानक बीजेपी से खफा हो गए। उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से गठबंधन कर लिया था। राजभर के अलावा सुभासपा से 5 और प्रत्याशी इस बार जीते हैं। सुभासपा से जीतने वालों में डॉन मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास भी है। अब्बास ने मऊ सीट से चुनाव जीता है। चुनाव से पहले राजभर दावा करते रहे थे कि उनकी पार्टी सपा से गठबंधन कर यूपी से बीजेपी का नामोनिशान मिटा देगी। हालांकि, चुनाव में सपा गठबंधन की हार के बाद राजभर ने टीवी चैनल ‘एबीपी न्यूज’ से इंटरव्यू में कहा था कि वो चुनाव के पहले दौर के बाद ही समझ गए थे कि सपा गठबंधन जीतने नहीं वाला।

सपा गठबंधन में इससे पहले भी फूट पड़ने की खबर आती रही है। चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधन के एक और सहयोगी महान दल के अध्यक्ष केशवदेव मौर्य ने अखिलेश यादव और सपा में शामिल होने वाले नेताओं पर अंगुली उठाई थी। केशवदेव ने नाम न लेते हुए कहा था कि सपा के साथ आए नेताओं ने खूब बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए थे और बयान दिए थे। ये सब बैकफायर कर गया और इसी वजह से गठबंधन की दुर्दशा हुई।