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West Bengal: बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर जवाब दाखिल करेंगे केंद्र, चुनाव आयोग और ममता सरकार

Bengal Post-poll violence: याचिका में कहा गया है कि हिंसा, लूट, हत्याओं और आतंक के परिणामस्वरूप, हिंदुओं को सामूहिक रूप से अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और यह स्थिति 1990 में कश्मीर से हिंदुओं के सामूहिक पलायन के समान रही है।

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव के बाद हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री और एक अन्य व्यक्ति की याचिका पर केंद्र, चुनाव आयोग और साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिकाकतार्ओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने दलील दी कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा 2 मई को विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 15 भाजपा कार्यकतार्ओं या उनके समर्थकों की हत्या कर दी गई और महिलाओं का अपहरण और दुष्कर्म किया गया।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘प्रशासन और पुलिस टीएमसी के उन राजनीतिक कार्यकतार्ओं का समर्थन कर रहे हैं। इस कारण से महिलाओं का जीवन, स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा एवं सम्मान छीना जा रहा है। जैसा कि इस तथ्य से स्पष्ट है कि कई लोगों को नुकसान पहुंचाया गया है, कत्ल किया गया है, बेरहमी से हत्या कर दी गई और लड़कियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया। उनकी सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।’

याचिका में कहा गया है कि हिंसा, लूट, हत्याओं और आतंक के परिणामस्वरूप, हिंदुओं को सामूहिक रूप से अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और यह स्थिति 1990 में कश्मीर से हिंदुओं के सामूहिक पलायन के समान रही है। याचिकाकतार्ओं ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि भाजपा का समर्थन करने के बदले में मुसलमानों द्वारा हजारों नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं।

mamata banerjee and PM Modi

याचिका में कहा गया है, ‘ इन परिस्थितियों में न्यायालय के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है और न्यायालय विरोधी पक्षों को आदेश जारी कर सकता है, ताकि पश्चिम बंगाल सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करे । निरंतर उल्लंघन के मामले में भारत सरकार को संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 के तहत उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।’

याचिकाकतार्ओं ने दलील दी है कि हिंदुओं के प्रति आतंक के माहौल, उथल-पुथल, भय, अशांति और दमन के बावजूद दुर्भाग्य से केंद्र ने बिना किसी अनुवर्ती कार्रवाई के केवल रिपोर्ट मांगने की रस्म का ही पालन किया है। याचिका में केंद्र और राज्य को असम में प्रवास करने के लिए मजबूर लोगों के पुनर्वास और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सशस्त्र बलों या अर्धसैनिक बलों को तैनात करने का निर्देश देने की मांग की गई है।