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Nuh Violence: गुरुग्राम से हटाई गई धारा 144, नूंह हिंसा की वजह से उठाया गया था ये कदम

Gurugram: गत 21 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की अगुवाई में शिव यात्रा निकाली जा रही थी। इस बीच विशेष समुदाय के लोगों को आशंका हुई कि काफिले में मोनू मानेसर शामिल हो सकता है, जिसके विरोध में कथित तौर पर विशेष समुदाय की ओर से पथराव किया गया।

नई दिल्ली। नूंह में भड़की हिंसा के बाद प्रशासन की ओर से एहतियात बरतते हुए धारा 144 लागू कर दी गई थी। सभी संवेदनशील स्थानों पर अर्धसैनिकों बलों को तैनात कर दिया गया था। आरोपियों के खिलाफ धरपकड़ का सिलसिला जारी था और है भी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक नूंह हिंसा मामले में 44 प्राथमिकियां दर्ज की जा चुकी हैं, जिनके आधार पर 144 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बता दें कि नूंह में भड़की हिंसा की जद में आकर 6 लोगों की मौत हो गई, तो वहीं कई लोगों अभी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

Nuh Violence pic

हालांकि, बीते दिनों इस संवेदनशील विषय पर बैठक करने के बाद सीएम खट्टर ने हिंसा से प्रभावित हुए लोगों को आर्थिक मुआवजा देने का ऐलान किया था और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी बात कही थी। ध्यान दें कि इस बीच कई दंगाइयों के घरों पर बुलडोजर चलाकर उसे जमींदोज कर दिया गया, लेकिन हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद इस पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सरकार से जवाब भी तलब किया है। वहीं, अब खबर है कि खट्टर सरकार ने गुरुग्राम से धारा 144 भी हटा दी है, जिसके बाद से बंदिशों में जीने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। बता दें कि हालात सामान्य होने के बाद गुरुग्राम में धारा 144 हटाया गया है।

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इतना ही नहीं, सभी संवेदनशील स्थानों से सुरक्षाकर्मियों को हटाया जा रहा है। दावा है कि अब स्थिति सामान्य हो रही है। ध्यान दें कि बीते दिनों पुलिस ने नूंह हिंसा में शामिल एक या दो नहीं, बल्कि 144 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। इसके अलावा इस हिंसा में सोशल मीडिया के दुरुपयोग का भी मामला सामने आया था, जिसे लेकर पुलिस ने प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। बहरहाल, अब पुलिस इस पूरे मामले में क्या कुछ कार्रवाई करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आइए उससे पहले एक बार ये जान लेते हैं कि आखिर नूंह में हिंसा भड़की क्यों थी?

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दरअसल, गत 21 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की अगुवाई में शिव यात्रा निकाली जा रही थी। इस बीच विशेष समुदाय के लोगों को आशंका हुई कि काफिले में मोनू मानेसर शामिल हो सकता है, जिसके विरोध में कथित तौर पर विशेष समुदाय की ओर से पथराव किया गया। इसके बाद काफिले में मौजूद लोगों की ओर से भी जवाबी पथराव किया गया। इसके बाद देखते ही देखते यह पथराव हिंसा का रूप धारण कर गई। इस हिंसा की जद में आकर अब तक 6 लोग मारे जा चुके हैं। इसके अलावा कई घायल हो चुके हैं। हालांकि, बीते दिनों सीएम मनोहर ने कहा था कि सभी घायलों को आर्थिक मुआवजा दिया जाएगा।

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अब सवाल यह है कि आखिर मोनू मानेसर के यात्रा में शामिल होने से विशेष समुदाय के लोगों को क्या आपत्ति थी? दरअसल, मोनू मानेसर पर जुनैद और नासिर की हत्या का आरोप लगा है। लिहाजा, जैसे ही काफिले में मोनू मानेसर के शामिल होने की बात सामने आई, तो विशेष समुदाय की ओर से पथराव किया गया और बाद में यह स्थिति हिंसात्मक हो गई। हालांकि,हिंसा के बाद मोनू मानेसर ने वीडियो जारी कर कहा कि वो नूंह में पिछले कुछ दिनों से नहीं है।