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Satyabrata Mookherjee Death: बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत मुखर्जी का निधन, लंबे समय से थे बीमार, वाजपेयी सरकार में थे मंत्री

Satyabrata Mookherjee Death: अपने दीर्घ राजनीतिक यात्रा में सत्यव्रत कई अहम पदों की जिम्मेदारी निष्ठापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। वे भारत के पूर्व एडिसनल सॉलिसिटर जनरल सहित अन्य पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके थे। यही नहीं, वाजपेयी सरकार में उन्हें मंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई थी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वाजपेयी सरकार में विश्वासपात्र नेताओं में से एक रहे हैं।

नई दिल्ली। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत मुखर्जी का निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें दिल की बीमारी थी। लंबे समय तक उपाचर किए जाने के बावजूद भी उनके स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं दर्ज किया गया है। उन्होंने बालीगंज स्थित वृद्धा आश्रम में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर बीजेपी के अन्य नेताओं ने दुख व्यक्त किया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने सत्यव्रत के निधन पर ट्वीट कर कहा कि “मैं बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सत्यव्रज मुखर्जी के निधन से दुखी हूं… जोलू बाबू के नाम से लोकप्रिय, वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सांसद और मंत्री थे। उनके परिवार के सदस्यों और दोस्तों के प्रति संवेदना। उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले। ॐ शांति।”

विदित हो कि अपने दीर्घ राजनीतिक यात्रा में सत्यव्रत कई अहम पदों की जिम्मेदारी निष्ठापूर्वक निर्वहन कर चुके हैं। वे भारत के पूर्व एडिसनल सॉलिसिटर जनरल सहित अन्य पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके थे। यही नहीं, वाजपेयी सरकार में उन्हें मंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई थी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वे वाजपेयी सरकार में विश्वासपात्र नेताओं में से एक रहे हैं। सत्यव्रत का बंगाल से विशेष जुड़ाव रहा है। किसी जमाने में बंगाल की राजनीति में उनका तूती बोला करती थी। आइए , एक नजर जरा उनकी पुष्ठभूमि पर डालते हैं। आपको बता दें कि सत्यव्रत का जन्म 8 मई 1932 को पश्चिम बंगाल के सिलहट में हुआ था, जो कि अब बांग्लादेश के हिस्से में जा चुका है। उन्होंने कोलकाता के विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने विलायत का रुख किया था। उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए लंदन का रुख किया। जहां उन्होंने रीजेंट स्ट्रीट पॉलिटेक्निक की पढ़ाई की, तो ये थी शैक्षणिक पृष्ठभूमि। लेकिन, अब आगे जरा उनकी राजनीतिक यात्रा के बारे में लेते हैं।

उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1999 में कृष्णानगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़कर किया था। चुनाव में जीत का परचम लहराने के बाद उन्हें वाजपेयी सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्हें 2000 से जून 2002 तक रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री के रूप में और बाद में जुलाई 2002 से अक्टूबर 2003 तक वाणिज्य और उद्योग मंत्री बनाया गया था। सत्यव्रत की 87 साल में निधन के बाद बीजेपी में शोक की लहर है। हर कोई उनके निधन से व्यथित है। वे लंबे समय से बीमार थे। हालांकि, पार्टी की गतिविधियों में वो सक्रिय नहीं थे, लेकिन दूर से पार्टी की हर गतिविधियों पर नजर रखते थे और जब कभी-भी पार्टी के किसी नेता को उनकी राय की दरकार होती थी, तो सत्यव्रत कभी उनकी मदद करने में कोई गुरेज नहीं करते थे। ऐसी स्थिति में उनका निधन पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।