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Uttarakhand: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश का हार्ट अटैक के चलते हुआ निधन

Indira Hridayesh: मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश की मृत्यु हार्ट अटैक के चलते हुआ है। उनकी तबीयत दिल्ली में स्थित उत्तराखंड सदन में बिगड़ी थी।

नई दिल्ली। कांग्रेस की दिग्गज नेता और उत्तराखंड नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का रविवार को दिल्ली के उत्तराखंड सदन में निधन हो गया। उनके निधन के बाद कांग्रेस में शोक-संवेदनाओं का दौर शुरू हो गया है। गौरतलब है कि इंदिरा के निधन को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी निजी क्षति बताया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि, अभी-अभी कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री डॉक्टर इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुःखद समाचार मिलकर मन अत्यंत दुखी है। इन्दिरा बहिन जी ने अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में कई पदों को सुशोभित किया और विधायिका के कार्य में पारंगत हासिल की। बहिन जी का जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है।

उन्होंने आगे लिखा कि, मैं दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता हूँ और परमपिता परमेश्वर से विनती करता हूँ कि वो इन्दिरा बहिन जी की आत्मा को अपने श्री-चरणों में स्थान दें। दुख की इस कठिन घड़ी में मेरी संवेदनाएँ सुमित एवं समस्त परिवार के साथ हैं। ॐ शान्ति शान्ति शान्ति।

बता दें मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश की मृत्यु हार्ट अटैक के चलते हुआ है। उनकी तबीयत दिल्ली में स्थित उत्तराखंड सदन में बिगड़ी थी। गौरतलब है कि दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक में भाग लेने के लिए वह शनिवार को राजधानी पहुंची थीं। आज उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर 303 में उनकी हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। उनके शव को उत्तराखंड ले जाने की तैयारी हो रही है।

इंदिरा हृदयेश की मृत्यु पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि, “उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी की एक मज़बूत कड़ी, डॉ इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुखद समाचार मिला। वे अंत तक जन सेवा एवं कांग्रेस परिवार के लिए कार्यरत रहीं। उनके सामाजिक व राजनीतिक योगदान प्रेरणास्रोत हैं। उनके प्रियजनों को शोक संवेदनाएँ।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा रहीं इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक अनुभव को देखते हुए उन्हें सत्ता पक्ष की तरफ से सम्मान मिलता था।