
कोलकाता। साल 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में दो साल से भी कम का वक्त बचा है। इस बीच, बिहार के सीएम और जेडीयू के नेता नीतीश कुमार को विपक्ष की एकजुटता का जिम्मा देने की बात चल रही है, लेकिन उनकी कोशिश शायद ही कामयाब हो। फिलहाल लग ऐसा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी नीतीश कुमार के इरादों पर पानी फेर सकती हैं। अभी के संकेत देखें, तो ममता का इरादा अपने दम पर लोकसभा चुनाव में उतरने का है। नतीजे आने के बाद ममता फिर विपक्षी पार्टियों से बातचीत कर सकती हैं। बीते दिनों तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव पटना पहुंचकर नीतीश से मिले। उन्होंने कहा कि नीतीश का नाम पीएम के तौर पर आगे बढ़ाएंगे। हालांकि, उस प्रेस कॉन्फ्रेंस से नीतीश उठकर जाने के लिए तैयार दिखे। वहीं, अब टीएमसी का दावा है कि उसे विपक्ष की एकता का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
टीएमसी प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रे ने कहा कि ममता बनर्जी 2019 से विपक्षी नेताओं से केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट कदम उठाने का आग्रह कर रही हैं, लेकिन कुछ ठोस नतीजा नहीं निकला। इसलिए टीएमसी ने 2024 चुनाव में अकेले उतरने का फैसला किया है। चुनाव बाद गठबंधन पर विचार किया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव बाद बातचीत से पहले देखा जाएगा कि विपक्ष को कितनी सीटें मिलती हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के विपक्ष मुक्त भारत के एजेंडे को पूरा करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को लगाया गया है, जबकि मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले में 100 लोगों की मौत के बाद भी कोई एजेंसी वहां नहीं भेजी गई।
सुखेंदु शेखर रे ने ये भी कहा कि विपक्ष को केंद्र की बीजेपी सरकार नष्ट करना चाहती है। देश को एकीकृत राज्य में बदलने के लिए बीजेपी सरकार अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रही है। इसी के तहत आधी रात सीबीआई निदेशक को हटाया गया। बहरहाल, सुखेंदु ने साफ कर दिया कि ममता ने एकला चलो की राह पकड़ी है। इसकी वजह ये भी है कि ममता खुद को विपक्ष का सर्वमान्य नेता साबित करना चाहती हैं। जबकि, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी पहले से ही पीएम पद के घोषित उम्मीदवार हैं।