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Maharashtra: उंगली टेढ़ी कर शिवसेना ने चली सदस्यता रद्द कराने की चाल, तो एकनाथ शिंदे ने दिया मुंहतोड़ जवाब, बोले- डराना मत, कानून…

Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा उपाध्यक्ष को लिखे गए इस पत्र में शिवसेना के 37 विधायकों के हस्ताक्षर हैं और पत्र की एक कॉपी डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल, राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के अलावा विधान परिषद के सचिव राजेंद्र भागवत को भी दी गई है।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अपनों की ही बगावत से पस्त हो चुके शिवसेना प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे चारों ओर से घिर चुके हैं। हालात ऐसी है कि अब उनके सामने घुटने टेकने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा। हालांकि उद्धव ठाकरे बागी हो चुके विधायकों को मनाने के लिए हर संभव कोशिश कर चुके हैं ऐसे में अब वो अपनी उंगली टेढ़ी करने कर मामले का हाल निकालने में लग गए हैं। महाराष्ट्र में उठे इस राजनीतिक संकट के बीच शिवसेना ने बागियों की सदस्यता रद्द करने का दांव चला है। शिवसेना के नव निर्वाचित ‘विधायक दल के नेता’ अजय चौधरी की तरफ से विधायक दल की बैठक में शामिल न होने वाले 12 विधायकों की लिस्ट को डेप्युटी स्पीकर को भेजा गया है। इस लिस्ट में उन 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की अपील की गई है। हालांकि बागियों का नेतत्व कर रहे एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर पलटवार किया है।

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बताया, “हमने डिप्टी स्पीकर (महाराष्ट्र विधानसभा) के समक्ष याचिका दायर की है और मांग की है कि 12 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए क्योंकि वे कल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बैठक से पहले नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर आप बैठक में शामिल नहीं हुए तो संविधान के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कुछ नहीं आए और कुछ ने बेवजह कारण बताए।” जिन 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की अपील की गई उनके नाम क्रमश: एकनाथ शिंदे, प्रकाश सुर्वे, तानाजी सावंतो, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तारी, संदीप भुमरे, भरत गोगावाले, संजय शिरसातो, यामिनी यादव, अनिल बाबरी, बालाजी देवदास, लता चौधरी हैं।

ठाकरे की चाल पर एकनाथ शिंदे का पलटवार

अब उद्धव ठाकरे की चाल पर बागियों के नेता एकनाथ शिंदे ने पलटवार किया है। शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने ट्वीट किया, “आप अयोग्यता के लिए 12 विधायकों के नाम बताकर हमें डरा नहीं सकते क्योंकि हम शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के अनुयायी हैं। हम कानून जानते हैं, इसलिए हम धमकियों पर ध्यान नहीं देते हैं।” उन्होंने कहा, “हम आपके तरीके और कानून भी जानते हैं। संविधान की अनुसूची 10 के अनुसार, व्हिप का इस्तेमाल विधानसभा के काम के लिए किया जाता है, बैठकों के लिए नहीं।”

इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को शिंदे की तरफ से शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में अपनी नियुक्ति की पुन: पुष्टि और पार्टी के मुख्य व्हिप के रूप में भरतशेठ गोगावले की नियुक्ति के मामले में पत्र भी लिखा गया है। महाराष्ट्र विधानसभा उपाध्यक्ष को लिखे गए इस पत्र में शिवसेना के 37 विधायकों के हस्ताक्षर हैं और पत्र की एक कॉपी डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल, राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के अलावा विधान परिषद के सचिव राजेंद्र भागवत को भी दी गई है। देखा जाए तो महाराष्ट्र की राजनीति में चल रहा ये पूरा बवाल किसी फिल्मी सीन से कम नहीं लग रहा लेकिन अब ये मामला कौन सा नया मोड़ लेता है ये देखना दिलचस्प होगा।