
बेंगलुरु। कर्नाटक की सिद्धारामैया सरकार एक और फैसले पर बैकफुट पर जाती दिख रही है। मामला कर्नाटक दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान एक्ट 1961 में बदलाव करने का है। सिद्धारामैया की कांग्रेस सरकार ने बिल में बदलाव कर आईटी, आईटीईएस और बीपीओ सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए रोज 14 घंटे काम की मंजूरी देने वाली थी। अब इस मामले में कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष लाड का कहना है कि टेक सेक्टर वालों से ज्यादा घंटे तक काम लेने के बारे में कानून बनाने का आईटी उद्योग ने दबाव डाला। श्रम मंत्री का कहना है कि इस मामले का मूल्यांकन कर रहे हैं।
सिद्धारामैया सरकार में श्रम मंत्री संतोष लाड ने आगे कहा कि सरकार अभी बिल को परख रही है। उन्होंने कहा कि सभी प्रमुख हितधारक इस बारे में चर्चा करें। संतोष लाड ने ये भी कहा कि मामला सार्वजनिक होने के कारण आईटी कर्मचारियों में असंतोष है। बता दें कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु को देश का आईटी हब माना जाता है। आईटी से जुड़ी तमाम बड़ी कंपनियों का दफ्तर बेंगलुरु में है और यहां हजारों लोग काम करते हैं। आईटी सेक्टर में कर्मचारियों से रोज 14 घंटे काम लिए जाने संबंधी बिल के प्रावधान का बीजेपी विरोध कर रही है। बीजेपी कह रही है कि इस मसले पर और चर्चा की जाए। बीजेपी का कहना है कि सरकार इस मामले में एकतरफा फैसला नहीं कर सकती।
वहीं, आईटी कर्मचारियों और श्रमिक संगठनों ने भी बिल का विरोध कर इसे अमानवीय बताया है। अभी कर्नाटक में कर्मचारी हर दिन ओवरटाइम समेत 10 घंटे ही काम कर सकते हैं। एक हफ्ते के भीतर ये दूसरा बिल है, जिस पर सिद्धारामैया सरकार बैकफुट पर आई है। इससे पहले सिद्धारामैया सरकार ने एक बिल लाने और निजी क्षेत्र में ग्रुप सी और डी में राज्य के लोगों के लिए 70 और 50 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था। उद्योग जगत ने जब इस पर जमकर विरोध जताया, तो सिद्धारामैया सरकार ने उस बिल को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया था।