
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटरों के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) को लेकर जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बड़ी मांग कर दी है। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने चुनाव आयोग से कहा है कि किसी भी महत्वपूर्ण चुनाव से 6 महीने पहले वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण न कराया जाए। टीडीपी ने कहा कि एसआईआर को लोग नागरिकता सत्यापन समझ रहे हैं और इस वजह से कई लोगों के मन में इसको लेकर डर है। इसलिए चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट विशेष गहन पुनरीक्षण का दायरा स्पष्ट करना चाहिए।
टीडीपी के लोकसभा सांसद लावु श्रीकृष्ण देवरायलु की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त को यह पत्र लिखा गया है। इसमें उन्होंने कहा है कि एसआईआर का उद्देश्य वोटर लिस्ट में सुधार और उसमें नए नामों को शामिल करना होना चाहिए, नागरिकता सत्यापन नहीं। वोटर लिस्ट में नए नाम जुड़ने और जिनके नाम हटाए गए हैं उनका पूरा डेटा जिलेवार चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड होना चाहिए। टीडीपी सांसद ने चुनाव आयुक्त से कहा कि आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी काफी लंबा समय है, इसलिए वहां पर जल्द से जल्द वोटर लिस्ट विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू कराया जाए।
चुनाव आयोग को देवरायलु ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि कैग की निगरानी में हर साल थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाए ताकि गड़बड़ी का पता लगाया जा सके। मृतकों और ऐसे लोग जो एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाने के लिए एआई तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए। वोटर लिस्ट रिवीजन प्रोग्राम के दौरान बूथ लेवल एजेंट्स को उसमें अवश्य शामिल किया जाए। साथ ही वोटिंग के समय मतदाता की उंगली पर स्याही लगाने की बजाए बायोमीट्रिक वैरिफिकेशन का सुझाव दिया है।