नई दिल्ली। बड़े-बड़े सियासी पंडित बिहार की राजनीति को लेकर कोई भी अनुमान लगाने से बचते हैं, क्योंकि यहां कब क्या हो जाए?, कह पाना मुश्किल है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा अपने चरम पर पहुंच चुकी है कि नीतीश कुमार पाला बदल सकते हैं। वो फिर एनडीए में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, अमित शाह दो टूक कह चुके हैं कि अब नीतीश के लिए एनडीए के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं, लेकिन अगर इसके बावजूद भी इस तरह की चर्चाओं का जन्म बिहार की राजनीति में मौजूदा दौर में हो रहा है, तो कहीं ना कही जरूर कुछ सियासी खिचड़ी पकाई जा रही है। हालांकि, नीतीश बीते दिनों मीडिया से खुद भी स्पष्ट कर चुके हैं कि वो अगले सात जन्मों में भी एनडीए में शामिल नहीं होंगे। कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि नीतीश के इस ऐलान ने बीजेपी की भी टेंशन बढ़ा दी है, क्योंकि बिहार का राजनीतिक अतीत इस बात का गवाह रहा है कि बीजेपी अकेले दम पर आज तक वहां अपना सियासी दुर्ग स्थापित कर पाने में विफल रही है, उसे किसी ना किसी का सहारा लेना पड़ा है, तो ऐसे में अगर बीजेपी बिहार में खुद को एक मजबूत राजनीतिक दल के रूप स्थापित करना चाहती, तो उसे पहले की तुलना में ज्यादा मेहनत करने की दरकार है।
ठाकुर बनाम ब्राह्मण
हालांकि, बिहार में अभी ठाकुर बनाम ब्राह्मण की राजनीतिक लड़ाई तेज हो चुकी है। दरअसल, बीते दिनों संसद में आरजेडी सांसद मनोज झा ने ठाकुर पर कविता पढ़ी थी, जिसे आरजेडी नेता चेतन आनंद ने ठाकुर समाज का अपमान बताया था। बाद में इस पर आनंद मोहन ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने मीडिया के सामने स्पष्ट कर दिया था कि वो ठाकुर समाज का अपमान बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। वो अपने समाज के लिए कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन बाद में लालू प्रसाद यादव ने खुद बयान जारी कर स्पष्ट कर दिया कि मनोज झा एक पढ़े लिखे सांसद हैं, मैंने उनकी कविता सुनी है, उन्होंने किसी भी तरह से ठाकुर समाज का अपमान नहीं किया है, लेकिन लालू की इस सफाई के बाद इस मुद्दों पर जारी राजनीतिक घमासान खत्म नहीं हुआ है।
बहरहाल, अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने नीतीश कुमार के पीएम बनने की बात कही है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वो दिन दूर नहीं, जब वो प्रधानमंत्री बनेंगे। देश के पहले राष्ट्रपति बिहार से थे और अब हम चाहते हैं कि बिहार से एक प्रधानमंत्री बने। वहीं जहां तक बात नीतीश कुमार की है, तो उनके अंदर वो सारे गुण है, जो कि एक प्रधानमंत्री में होने चाहिए। वो एक अच्छे प्रधानमंत्री बनेंगे। उधऱ, आज की तारीख में हर बिहारी चाहता है कि नीतीश कुमार इस देश के प्रधानमंत्री बने और मुझे पूरा विश्वास है कि वो दिन जरूर बनेंगे।
शायद इसलिए छोड़ा NDA का साथ… !!
शायद इसलिए भी बीते दिनों नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे, चूंकि वो इस बात को काफी पहले भी भांप चुके थे कि एनडीए में रहकर उनके प्रधानमंत्री बनने की मुराद कभी पूरी होने वाली नहीं है, लिहाजा उन्होंने एनडीए से अलहदा होना मुनासिब समझा। उधर, कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि महागठबंधन में नीतीश ही प्रधानमंत्री पद के लिए एक बेहतर प्रत्याशी के रूप में उभरकर सामने आते हैं, लेकिन निसंदेह नीतीश के लिए भी आगे की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि नीतीश इंडिया गठबंधन में शामिल हैं और यहां राहुल खुद को लगातार पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट कर रहे हैं। अब ऐेसे में जारी यह राजनीतिक घमासान आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।