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Ramcharitmanas Row: FIR होते ही स्वामी प्रसाद की सिट्टी पिट्टी हुई गुम, रामचरितमानस पर अब बदले सुर

Ramcharitmanas Row: स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। रामचरितमानस से भी हमारा कोई मतलब नहीं है। कुछ चौपाई के वो अंश जिसे इस देश के शूद्र समाज में आने वाली  जातियों को ‘जातिसूचक’ शब्दों का प्रयोग किया गया।

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान के चलते विवादों में घिरे हुए है। उनके बयान को लेकर नेताओं से लेकर साधु-संतों में आक्रोश है। वहीं बीते दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य के सपोर्ट में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां को फाड़कर और जलाने के मामले में पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया। लखनऊ पुलिस ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके अलावा पुलिस ने मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार जेल भेज दिया था। इसी बीच अब रामचरितमानस विवाद पर एफआईआर दर्ज होने के बाद सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की हेकड़ी निकलते हुए दिखाई दे रही है। अब इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद उनकी सुर बदलते हुए दिखाई दे रहे है।

swami prasad

दरअसल कानपुर में मीडिया से बात करते हुए स्वामी प्रसाद ने इस पूरे प्रकरण रिएक्शन दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। रामचरितमानस से भी हमारा कोई मतलब नहीं है। कुछ चौपाई के वो अंश जिसे इस देश के शूद्र समाज में आने वाली  जातियों को ‘जातिसूचक’ शब्दों का प्रयोग किया गया। शूद्र, महिलाओं को मारने पीटने प्रताड़ित किए जाने का पात्र बताया गया। शूद्र कितना भी विद्धान, पढ़ा लिखा और कितना बड़ा ज्ञाता क्यों न हो। उसका सम्मान नहीं करना चाहिए। ये कहा का न्याय है।

वहीं मीडिया द्वारा रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा, रामचरितमानस की कोई प्रति नहीं जलाई गई। कुछ लड़कों ने दफ्ती पर लिखकर के धर्म के नाम पर गाली नहीं सहेगे ये जला दिया। सम्मान की बात करना, किसी आपत्तिजनक शब्दों को बैन करना या बाहर निकला या संशोधन की मांग करना कानूनी तौर से अपराध नहीं है।

उधर सपा विधायक डॉ. आरके वर्मा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस के विवादित बोल का समर्थन किया है। सपा विधायक ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, ”तुलसीदास भेदभाव, ऊँचनीच, छुआछूत, गैरबराबरी की मानसिकता से ग्रसित कवि थे, जिनकी रामचरित मानस की अनेको चौपाइयां जो संविधान विरोधी हैं, उससे आज का पिछड़ा,अनुसूचित, महिला व संत समाज अपमानित होता है, ऐसी चौपाइयों को हटाने के साथ तुलसीदास को छात्रों के पाठ्यक्रम से हटाया जाना चाहिए।”