
कौशांबी। यूपी की मंझनपुर सीट से सपा के विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज ने विवादित बयान दिया है। इंद्रजीत सरोज ने सोमवार को अंबेडकर जयंती पर हुए कार्यक्रम में कहा कि मंदिरों में शक्ति नहीं है। इंद्रजीत सरोज ने कहा कि अगर मंदिरों में ताकत होती, तो मोहम्मद गोरी और महमूद गजनवी न आए होते और देश को नहीं लूटा होता। इंद्रजीत सरोज ने ये भी कहा कि जब रामायण, महाभारत, गीता और रामचरितमानस की रचना हुई, उस वक्त भारत में शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं था। अगर पढ़ने की कोशिश करते, तो आंखें फोड़ दी जातीं। सीसा पिघलाकर कान में डाल दिया जाता। उच्चारण करने पर जीभ काट ली जाती।
सपा के विधायक इंद्रजीत सरोज ने ये भी कहा कि पहले के समय शूद्रों को सार्वजनिक रास्तों से चलने की भी इजाजत नहीं थी। जो चलता, उसे अपने गले में हंड़िया बांधनी पड़ती थी। इंद्रजीत सरोज ने कहा कि अगर ये कहानी लगती है, तो अभी ज्योतिबा राव फूले के बारे में फिल्म रिलीज हुई है, उसे देख लेना। इंद्रजीत सरोज ने ये भी कहा कि राम का नारा लगाने से कुछ नहीं होगा। जय भीम का नारा लगाइए, तो आप आगे बढ़ेंगे। सपा के विधायक ने ये भी कहा कि तुलसीदास ने लिखा है कि नीच जाति का व्यक्ति पढ़-लिख जाए, तो वो सांप के दूध पीने जैसा है। इंद्रजीत सरोज ने आगे कहा कि उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ लिखा, लेकिन अकबर के समय मुसलमानों के खिलाफ कुछ नहीं लिखा। शायद उनकी हिम्मत नहीं हुई।
इंद्रजीत सरोज ने पहली बार विवादित बयान नहीं दिया है। साल 2023 में आरोप लगा था कि जाति विशेष को बदमाश कहा। इस पर इंद्रजीत सरोज के खिलाफ संत शिरोमणि रविदास पीठ के कोषाध्यक्ष ने पुलिस में शिकायत भी दी थी। इसी साल इंद्रजीत सरोज ने ये भी कहा था कि ब्राह्मणों ने हमसे नौकरी ली। जिन लोगों ने नौकरी ली, वो दिखाई नहीं पड़ते। ब्राह्मण समाज से इंद्रजीत सरोज ने ये भी पूछा था कि क्या तुमने हमसे नौकरी नहीं ली। साथ ही ये भी कहा था कि डीएम, एसपी, सीडीओ, बीडीओ और डीपीआरओ समेत सारे अफसर घूसखोर हैं। अब मंदिरों के बारे में इंद्रजीत सरोज के ताजा बयान से सियासत के गर्माने के आसार नजर आ रहे हैं।