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Sangeeta Pandey: 15 हजार रुपये से किया शुरू आज करोड़ों में है कारोबार, जानिए संगीता पांडेय की कहानी जिन्हें CM योगी भी कर चुके हैं सम्मानित

Sangeeta Pandey: बकौल संगीता वह मुख्यमंत्री द्वारा महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं आत्मनिर्भरता के लिए उठाए गए कदमों की मुरीद हैं। खासकर नारी सशक्तिकरण के लिए 2019 में मातृशक्ति के पावन पर्व नवरात्रि के दिन शुरू मिशन शक्ति योजना की। पर संगीता जैसा बनना आसान नहीं है। उनकी कहानी फर्श से अर्श तक पहुंचने का जीवंत प्रमाण है।

नई दिल्ली। संगीता पांडेय है जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर से हैं। इसे वह अपना सौभाग्य मानती हैं। उनके हाथों वह सम्मानित हो चुकीं हैं। उस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा उनके बाबत बोले गये चंद अल्फाज संगीता के लिए धरोहर हैं। बकौल संगीता वह मुख्यमंत्री द्वारा महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं आत्मनिर्भरता के लिए उठाए गए कदमों की मुरीद हैं। खासकर नारी सशक्तिकरण के लिए 2019 में मातृशक्ति के पावन पर्व नवरात्रि के दिन शुरू मिशन शक्ति योजना की। पर संगीता जैसा बनना आसान नहीं है। उनकी कहानी फर्श से अर्श तक पहुंचने का जीवंत प्रमाण है।

Sangeeta Pandey

बच्ची के साथ कभी काम करने से मना कर दिया गया था

बात करीब एक दशक पुरानी है। घर के हालत बहुत अच्छे नहीं थे। गोरखपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने वाली संगीता ने सोचा किसी काम के जरिए अतिरिक्त आय का जरिया बनाते हैं। पति संजय पांडेय इस पर राजी हो गये। इस क्रम में वह एक संस्था में गईं। चार हजार रुपये महीने का वेतन तय हुआ। दूसरे दिन वह अपने 9 महीने की बेटी के साथ काम पर गई तो कुछ लोगों ने आपत्ति की। बोले  बच्ची की देखरेख और काम एक साथ संभव नहीं। बात अच्छी नहीं लगी, पर मजबूरी और कुछ करने का जज्बा था। दूसरे दिन वह बच्ची को घर छोड़ काम पर गईं। मन नहीं लगा। सोचती रहीं जिनकी बेहतरी के लिए काम करने की सोची थी। वह तो मां की ममता से वंचित हो जाएंगे। लिहाजा उन्होंने काम छोड़ दिया।

साइकिल और ठेले से की  शुरुआत

संगीता के अनुसार, पर मुझे कुछ करना ही था। क्या करना है यह नहीं तय कर पा रही थी। पैसे की दिक्कत अलग। थोड़े से ही शुरुआत करनी थी। कभी कहीं मिठाई का डब्बा बनते हुए देखीं थीं। मन में आया यह काम हो सकता है। घर में पड़ी रेंजर साइकिल से कच्चे माल की तलाश हुई। 15 हजार का कच्चा माल उसी सायकिल के कैरियर पर लाद कर घर लाई। वह बताती हैं कि 8 घन्टे में 100 डब्बे तैयार करने की खुशी को वह बयां नहीं कर सकतीं। नमूने लेकर बाजार गईं। मार्केटिंग का कोई तजुर्बा था नहीं। लिहाजा कुछ कारोबारियों से बात कीं। बात बनीं नहीं तो घर लौट आईं। आकर इनपुट कॉस्ट और प्रति डब्बा अपना लाभ निकालकर फिर बाजार गईं। लोगों ने बताया हमें तो इससे सस्ता मिलता है। किसी तरह से तैयार माल को निकाला। कुछ लोगों से बात कीं तो पता चला कि लखनऊ में कच्चा माल सस्ता मिलेगा। इससे आपकी कॉस्ट घट जाएगी। बचत का 35 हजार लेकर लखनऊ पहुंची। वहां सीख मिली कि अगर एक पिकअप माल ले जाएं तो कुछ परत पड़ेगा। इसके लिए लगभग दो लाख रुपये चाहिए। फिलहाल बस से 15 हजार का माल लाई। डिब्बा तैयार करने के साथ पूंजी एकत्र करने पर ध्यान लगा रहा। डूडा से एक लोन के लिए बहुत प्रयास किया पर पति की सरकारी सेवा (ट्रैफिक में सिपाही) आड़े आ गई।

Sangeeta Pandey

कारोबार बढ़ाने के गिरवी रख दिये गहने

उन्होंने महिलाओं की सबसे प्रिय चीज अपने गहने को गिरवी रखकर 3 लाख का गोल्ड लोन लिया। लखनऊ से एक गाड़ी कच्चा माल मंगाई। इस माल से तैयार डब्बे की मार्केटिंग से कुछ लाभ हुआ। साथ ही हौसला भी बढ़ा। एक बार और सस्ते माल के जरिए इनपुट कास्ट घटाने के लिए दिल्ली का रुख कीं। यहां व्यारियों से उनको अच्छा सपोर्ट मिला। क्रेडिट पर कच्चा माल मिलने लगा। अब तक अपने छोटे से घर से ही काम करती रहीं। कारोबार बढ़ने के साथ जगह कम पड़ी तो कारखाने के लिए 35 लाख का लोन लिया। कारोबार बढ़ाने के लिए 50 लाख का एक और लोन लिया। सप्लाई पहले सायकिल से होती थी फिर दो ठेलों से आज इसके लिए उनके पास इसके लिए खुद की मैजिक, टैंपू और बैटरी चालित ऑटो रिक्शा भी है। खुद के लिए स्कूटी एवं कार भी। एक बेटा और दो बेटियां अच्छे स्कूलों में तालीम हासिल कर रहीं हैं।

पूर्वांचल एवं बिहार के सटे हरे बड़े शहर में उनके माल के अच्छे ग्राहक

पूर्वांचल के हरे बड़े शहर की नामचीन दुकानें उनकी ग्राहक हैं। मिठाई के डिब्बों के साथ पिज्जा, केक, बास्केट भी बनाती है। उत्पाद बेहतरीन हों इसके लिए दिल्ली के कारीगर भी रखीं हैं। वह काम भी करते हैं और बाकियों को ट्रेनिंग भी।

CM Yogi

 100 महिलाओं को मिला है रोजगार

प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 100 महिलाओं एवं एक दर्जन पुरुषों को वह रोजगार मुहैया करा रहीं हैं। पंजाब, पश्चिमी बंगाल, गुजरात, राजस्थान तक वह गुणवत्ता पूर्ण कच्चे माल की तलाश में जाती हैं। जहां जाती हैं योगी आदित्यनाथ के शहर की होने की वजह से लोग उनको खासा सम्मान देते हैं। कहते हैं कि मुख्यमंत्री हो तो योगी जैसा। यह सब सुनकर खुशी होती है।  संगीता बताती हैं कि उन्हें अपने संघर्ष के दिन नहीं भूलते नहीं। इसलिए काम करने वाली कई महिलाएं निराश्रित हैं। कुछ के छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। उनको घर ही कच्चा माल भिजवा देती हूं। इससे वह काम भी कर लेतीं और बच्चों की देखभाल भी।  कुछ दिव्यांग भी हैं। जिनके लिए चलना-फिरना मुश्किल है। कुछ मूक बधिर भी हैं।