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Railway Trial On Chenab Arch Bridge: जल्दी ही कन्याकुमारी से कश्मीर तक सीधे ट्रेन से जा सकेंगे लोग, दुनिया के सबसे ऊंचे पुल पर रेलवे ने कर दिखाया इंजन का सफल ट्रायल

Railway Trial On Chenab Arch Bridge: जानकारी के अनुसार रेलवे सुरक्षा आयुक्त जून के अंत में संगलदान और रियासी स्टेशनों के बीच 46 किलोमीटर ट्रैक और सबसे ऊंचे पुल का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला के कटड़ा और बनिहाल के बीच ट्रेन सेवा शुरू कर दी जाएगी।

जम्मू। पूरे देश में रेलवे का नेटवर्क आजादी से पहले से है, लेकिन जम्मू-कश्मीर और खासकर कश्मीर घाटी का बाकी देश से रेलवे के जरिए संपर्क नहीं था। जम्मू तक ट्रेन जाती थी। फिर जम्मू से गाड़ी में बैठकर श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के हिस्सों में जाना पड़ता था। अब जल्दी ही कश्मीर घाटी तक ट्रेन चलने जा रही है। देश के सुदूर दक्षिण स्थित कन्याकुमारी से एकदम उत्तर में बसे श्रीनगर तक ट्रेन चलाने का दम भारतीय रेलवे दिखाने जा रहा है। इसके लिए चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च पुल बनाया गया है। इस पुल को बनाने का काम काफी समय से चल रहा था। पेरिस के आइफल टावर से भी ऊंचा ये पुल बनकर तैयार हो चुका है और रविवार को पहली बार इस पर इंजन चलाकर सफल ट्रायल किया गया।

जानकारी के अनुसार रेलवे सुरक्षा आयुक्त जून के अंत में संगलदान और रियासी स्टेशनों के बीच 46 किलोमीटर ट्रैक और सबसे ऊंचे पुल का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला के कटड़ा और बनिहाल के बीच ट्रेन सेवा शुरू कर दी जाएगी। जब रविवार को रेलवे के सबसे ऊंचे आर्च पुल पर इंजन का सफल ट्रायल हुआ, तो इसे देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग भी जुटे। यहां रेलवे के भी अफसर मौजूद थे। इंजन जब रेलवे के इस नए पुल के आर-पार सफल सफर कर पहुंचा, तो जमकर भारत माता की जय और भारतीय रेलवे जिंदाबाद के भी नारे लगे। अभी जम्मू-कश्मीर के बनिहाल से बारामूला तक ट्रेन चलती है। इन स्टेशनों के बीच में श्रीनगर भी है। इस खंड की दूरी 161 किलोमीटर की है।

जम्मू-कश्मीर में ऊधमपुर से कटड़ा और बारामूला से संगलदान तक रोज ट्रेन चलती है। अब दुनिया के सबसे ऊंचे आर्च पुल के चालू होने से संगलदान और रियासी के बीच 46 किलोमीटर दूरी तक ट्रेन चलने लगेगी। इसके बाद रियासी से कटड़ा को जोड़ने का काम पूरा होगा और फिर जम्मू से कश्मीर घाटी के दूरदराज हिस्सों तक गाड़ी नहीं, बल्कि ट्रेन से सफर कर पहुंचा जा सकेगा। फिलहाल एक सुरंग बन रही है। इसके पूरा होते ही रेलवे की ये महत्वाकांक्षी परियोजना पूरी हो जाएगी।