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Supreme Court Commutes Death Penalty : पत्नी और अपने चार बच्चों की हत्या के दोषी की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदला

Supreme Court Commutes Death Penalty : जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने दोषी के मानसिक स्वास्थ्य और जेल में उसके अच्छे आचरण का हवाला दिया है। साल 2008 में इस व्यक्ति को अपनी पत्नी और चार बच्चों की हत्या के लिये दोषी ठहराया गया था।

नई दिल्ली। अपनी पत्नी और चार बच्चों की हत्या के दोषी एक व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया। इसके पीछे सर्वोच्च अदालत ने दोषी के मानसिक स्वास्थ्य और जेल में उसके अच्छे आचरण का हवाला दिया है। साल 2008 में इस व्यक्ति को अपनी पत्नी और चार बच्चों की हत्या के लिये दोषी ठहराया गया था। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने दोषी की मृत्युदंड को बदलने का उम्रकैद में बदलने का फैसला सुनाया।

लाइव लॉ के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा कि दोषी अपीलकर्ता का पूर्व से कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। पिछले 16-17 सालों से जेल में रहने के दौरान दोषी का आचरण और व्यवहार अच्छा रहा है। उसे कुछ मेंटल इश्यूज भी हैं और इन सब बातों को देखते हुए दोषी को मृत्युदंड देना उचित नहीं होगा। बेंच ने रमेश ए नायक बनाम रजिस्ट्रार जनरल, कर्नाटक उच्च न्यायालय मामले में 2025 में किए फैसला पर की गई चर्चा को ध्यान में रखते हुए दोषी को मृत्युदंड नहीं दिया जा रहा है। हालांकि बेंच ने यह भी कहा कि चूंकि दोषी ने पत्नी और अपने ही चार बच्चों की नृशंस हत्या की है जो कि इतना बड़ा अपराध है कि उसे रिहा नहीं किया जा सकता।

बेंच ने कहा कि उसे अपनी आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा ताकि उसे अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या का पश्चाताप हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी व्यक्ति की मेंटल स्टेटस की रिपोर्ट के अलावा परिवीक्षा अधिकारी की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने दोषी की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए केरल उच्च न्यायालय तथा निचली अदालत द्वारा दोषी को दी गई मौत की सजा को कम करते हुए उसे उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।