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District Judiciary Conference : सुप्रीम कोर्ट लोकतंत्र का सजग प्रहरी, जिला न्यायपालिका सम्मेलन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

District Judiciary Conference : राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों में ‘स्थगन संस्कृति’ को बदलने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रगति के बावजूद, लंबित मामलों से निपटना एक चुनौती बनी हुई है।

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले 75 वर्षों से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के ‘सजग प्रहरी’ के रूप में काम किया है। सर्वोच्च न्यायालय के प्रयासों से न्यायशास्त्र को सम्मानजनक स्थान प्राप्त हुआ है। अदालतों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है। यह बातें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज ‘राष्ट्रीय जिला न्यायपालिका सम्मेलन’ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने अतीत और वर्तमान में भारतीय न्यायिक प्रणाली से जुड़े सभी लोगों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना भी की।

इससे पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत मंडपम में जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। सीजेआई ने कहा कि प्रगति के बावजूद, लंबित मामलों से निपटना एक चुनौती बनी हुई है। सीजेआई ने कहा कि लंबित मामलों को कम करने वाली समिति ने केस प्रबंधन के माध्यम से कुशलतापूर्वक तीन चरणों की एक कार्य योजना बनाई है। पहली कार्य योजना के तहत लक्षित मामलों की पहचान करने के लिए जिला-स्तरीय केस प्रबंधन समितियों के गठन का प्रारंभिक चरण शामिल है। दूसरा चरण, जो चल रहा है, उसका लक्ष्य जनवरी से जून 2025 तक अदालतों में 10 से 20 साल, 20 से 30 साल और 30 साल से अधिक समय से लंबित मामलों को हल करना है।

न्यायपालिका अदालतों में एक दशक से अधिक समय से लंबित मामलों के निपटाने को तीसरे चरण में क्रियान्वित करेगी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में अपनी पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का समापन किया, जिसमें 5 कार्य दिवसों के भीतर लगभग 1,000 मामलों का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा किया गया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला न्यायपालिका स्तर पर रिक्तियां 28 प्रतिशत हैं। जरूरी मानकों के साथ इन रिक्तियों को भरने का और राष्ट्रीय एकीकरण का समय आ गया है।

सीजेआई ने कहा कि जिला न्यायपालिका पर राष्ट्रीय सम्मेलन ने हमें अपनी अब तक की यात्रा पर विचार करने और न्यायपालिका के लिए हम जो भविष्य की कल्पना करते हैं उसकी योजना बनाने का एक ईमानदार अवसर प्रदान किया है। सीजेआई बोले, न्याय देना एक बहुत आवश्यक काम है। पिछले दशक के प्रयासों ने हमारी न्यायपालिका को आधुनिक बनाया है। अभी एक दिन पहले, हमने एक नए क्रेच का उद्घाटन किया, जिसकी क्षमता 20 शिशुओं से बढ़ाकर 100 से अधिक कर दी गई है। बदलती जनसांख्यिकी से पता चलता है कि युवा पीढ़ी बागडोर संभाल रही है।