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Swami Shivananda: कौन हैं 125 साल के ये योग गुरू जिनके आगे PM मोदी भी हो गए नतमस्तक

Swami Shivananda: स्वामी शिवानंद काशी के रहने वाले हैं। उन्हें योगगुरु के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को सिलहट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में मौजूद है। स्वामी जी के मुताबिक योग, प्राणायाम और घरेलू उपचार उनके स्वस्थ रहने का मूलमंत्र है।

नई दिल्ली। सादी और संयमित जीवनशैली अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी होती है। Life Philosophy से जुड़ी ये बात तो आपने भी कई बार सुनी होगी लेकिन इस पर अमल करते शायद ही किसी को कभी देखा होगा, मगर सोमवार को राष्ट्रपति भवन में जो तस्वीर देखने को मिली उसके बारे में जानकर आप भी इस जीवन दर्शन को हकीकत मानने लगेंगे।

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125 साल के योगगुरू को पद्मश्री से नवाजा गया

असल में, सोमवार को राष्ट्रपति भवन में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली हस्तियों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म पुरस्कारों से नवाजा। यूं तो ये पुरूस्कार कई हस्तियों को दिए गए लेकिन जो एक शख्सियत खासी चर्चा में रही और जिनके आगे खुद पीएम मोदी भी नतमस्तक हो गए वे थे। काशी के योगगुरू स्वामी शिवानंद, जिन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया। 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद जब नंगे पैर सम्मान लेने के लिए पहुंचे तो दरबार हॉल तालियों से गूंज उठा। पीएम मोदी ने भी झुककर उनका अभिवादन करते हुए नजर आए। योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए स्वामी शिवानंद को पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

स्वामी शिवानंद के बारे में सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि योग बल के प्रभाव से 125 साल की उम्र में भी वे एकदम स्वस्थ और तंदरूस्त हैं। योग और संयमित दिनचर्या की मदद से उन्होंने इस उम्र में भी खुद को स्वस्थ रखा है। योग के प्रति उनका समर्पण देश के करोड़ों लोगों को बेहतर सेहत के लिए प्रेरित करता है। तो एक ऐसे शख्स के बारे में जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है जिन्होंने उम्र के सारे पैमानों को ही बेमतलब कर दिया है।

जानिए कोन है योगगुरू स्वामी शिवानंद

स्वामी शिवानंद काशी के रहने वाले हैं। उन्हें योगगुरु के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को सिलहट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में मौजूद है। स्वामी जी के मुताबिक योग, प्राणायाम और घरेलू उपचार उनके स्वस्थ रहने का मूलमंत्र है। स्वामी शिवानंद रोजाना सुबह 3 बजे जागते हैं फिर योगासन और श्रीमद भगवद् गीता का पाठ भी करते हैं।

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स्वामी शिवानंद बंगाल से काशी पहुंचे और वहां गुरु ओंकारानंद से शिक्षा लेने के बाद योग और ध्यान में एकदम निपुण हो गए। जब देश आज़ाद हुआ उस वक्त स्वामी शिवानंद करीब 50 साल के थे, यानि उन्होंने आजादी की लड़ाई को भी देखा और आजादी के बाद भारत की तरक्की के साक्षी भी बने। बेहद कम उम्र में ही उन्होंने अपने माता-पिता और बहन को खो दिया था। योग की शिक्षा हांसिल करने के बाद अपने गुरु के निर्देश पर उन्होंने 34 साल तक दुनिया के कई देशों का दौरा किया। वे लंदन, ऑस्ट्रेलिया, अन्य यूरोपीय देश और रूस जैसे देशों की यात्रा भी कर चुके हैं।

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वे चमक-दमक की दुनिया से दूर रहना पसंद करते हैं और सादा जीवन उच्च विचार में गहरी आस्था रखते हैं। स्वामी शिवानंद आज भी उबला हुआ खाना ही खाते हैं। तो ये थे 125 बरस की उम्र में पद्मश्री सम्मान से नवाजे गए स्वामी शिवानंद।