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Tejashwi Yadav: तेजस्वी यादव की बढ़ी मुश्किलें, गुजरातियों को ठगी कहने के मामले में कोर्ट ने जारी किया समन

Tejashwi Yadav: बीते 21 मार्च उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया था। जिसे लेकर अब उन्हें समन जारी किया गया था। ध्यान दें, हरेश मेहता ने अपनी शिकायत में कहा था कि इस तरह कोई भी राजनेता समस्त समुदाय को निशाना नहीं बना सकते हैं।

नई दिल्ली। गुजरातियों को ठग कहने के मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को समन जारी किया गया है। उन्हें आगामी 22 सितंबर को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है। बीते 21 मार्च को तेजस्वी के खिलाफ कारोबारी हरेश मेहता की शिकायत पर मानहानि का मामला दर्ज किया गया था। हरेश मेहता ने अपनी शिकायत में कहा था कि बिहार के डिप्टी सीएम महज दो-तीन लोगों का हवाला देकर समस्त समुदाय पर अपमानजनक टिप्पणी नहीं कर सकते हैं और अगर वो ऐसा करते हैं, तो उन्हें विधिक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार होना होगा। बता दें कि शिकायतकर्ता की ओर से अदालत में 12 गवाह और सीडी पेश किए गए थे। जिसे ध्यान में रखते हुए उन्हें समन जारी किया गया है। बहरहाल, अब कोर्ट का इस पूरे मामले में क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिए कि बीते मार्च माह में विधानसभा परिसर में बोलते हुए तेजस्वी यादव ने देश की माली हालत का जिम्मेदार गुजारतियों को ठहराया था।

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उन्होंने कहा था कि आज देश की आर्थिक दुर्गति का कारण अगर कोई है, तो वो गुजरात के कारोबारी हैं। उन्होंने यह टिप्पणी मेहुल चौकसी के मालमे में की थी। बता दें कि बीते 21 मार्च को उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया है। जिसे लेकर अब उन्हें समन जारी किया गया था। ध्यान दें, हरेश मेहता ने अपनी शिकायत में कहा था कि इस तरह कोई भी राजनेता समस्त समुदाय को निशाना नहीं बना सकते हैं। सिर्फ एक या दो लोगों की वजह से पूरे समुदाय को गाली देना उचित नहीं है। यह स्थिति देश की एकता के लिए खतरा है। जिस पर विराम लगाने की जरूरत है। ध्यान दें, इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी मोदी सरनेम को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने की वजह से कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़े थे। दरअसल, राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरनेम को लेकर विवादास्पद टिप्पणी कर दी थी, जिसके खिलाफ पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

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इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद कर दी गई थी। हालांकि, इसके बाद राहुल ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां से उन्हें राहत मिली और उनकी संसद सदस्यता बहाल कर दी गई।