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तो इसलिए 26 जनवरी को नहीं मनाया जाता संविधान दिवस, जानें क्या है सच्चाई

हर साल की तरह इस बार भी 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस को बड़ी ही खुशी के साथ मनाया जा रहा है। जैसा की आप सभी जानते हैं कि भारत अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। क्योंकि 26 जनवरी को ही भारत का संविधान (Constitution of India) लागू हुआ था।

नई दिल्ली। हर साल की तरह इस बार भी 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस को बड़ी ही खुशी के साथ मनाया जा रहा है। जैसा की आप सभी जानते हैं कि भारत अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। क्योंकि 26 जनवरी को ही भारत का संविधान (Constitution of India) लागू हुआ था।

Constitution Day

लेकिन कुछ लोग आज भी इस बात से अनजान हैं कि भारत का संविधान लागू तो 26 जनवरी को हुआ था पर संविधान दिवस (Constitution Day) 26 जनवरी को क्यों नहीं मनाया जाता है। इसके पीछे की सच्चाई क्या है वो हम आपको बताते हैं। दरअसल इसके पीछे एक बड़ी वजह है।

गणतंत्र दिवस का इतिहास


गणतंत्र दिवस का इतिहास (Republic Day History) बड़ा ही रोचक है। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 (26 January) को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। साल 1929 की दिसंबर में लाहौर में पंडित जावरहलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन किया गया था। इस अधिवेशन में प्रस्ताव पारित करते हुए इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियन का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्‍वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा।

26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके बाद 15 अगस्त 1947 को वास्तविक स्वतंत्रा प्राप्त करने के बाद इस दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से शुरू किया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।

26 जनवरी 1950 को कैसे लागू हुआ संविधान ?

डॉ भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयां थी, जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख और महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया।

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जिसके बाद अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई। इसलिए 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।