
• देश-विदेश के हजारों संतों और भक्तों की उपस्थिति में प्रकट गुरुहरि महंतस्वामी महाराज के द्वारा प्रतिष्ठाविधि संपन्न
प्रमुखस्वामी महाराज स्मृति मंदिर की विशेषताएँ
• भारतीय वास्तुकला की अनुपम अभिव्यक्ति – प्रमुखस्वामी स्मृति मंदिर ।
• स्मृति मंदिर की लंबाई 140 फुट, चौड़ाई 140 फुट और ऊंचाई 63 फुट
• 7,839 पत्थरों के संयोजन से बने 1 घुम्मट, 4 सामरण और 16 घुम्मटियों वाला विशिष्ट मंदिर ।
• मकराना के श्वेत संगेमरमर के पत्थरों से निर्मित नागर शैली में बना मंदिर
• मंदिर के चारों ओर संतों और भक्तों की कलाकृति से युक्त अनेक मूर्तियाँ
• तीर्थक्षेत्र सारंगपुर में नवनिर्मित यह मंदिर तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केंद्र
सारंगपुर। तीर्थधाम सारंगपुर में बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण मंदिर के विशाल परिसर में भव्य शिखरबद्ध श्रीअक्षरपुरुषोत्तम मंदिर और यज्ञपुरुष स्मृति मंदिर के बीच अब एक तीसरा दिव्य प्रेरणा स्थल शोभा में वृद्धि कर रहा है -‘ ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामी महाराज स्मृति मंदिर’ !
भगवान स्वामिनारायण के दिव्य वैदिक उपासना संदेश के प्रवर्तन हेतु एवं संपूर्ण मानव जाति के उत्कर्ष के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करके ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामी महाराज दि. 13/8/2016 को सारंगपुर तीर्थधाम में शरीरलीला समाप्त कर अक्षरनिवासी हुए थे ।
अंतर्धान लीला के पूर्व उनकी इच्छा थी कि ऐसे स्थान पर अंतिम संस्कार किए जाए, जहाँ पर मेरी दृष्टि के सामने सदा इष्टदेव भगवान श्रीस्वामिनारायण हों और गुरुदेव ब्रह्मस्वरूप शास्त्रीजी महाराज की दृष्टि सदा मुझ पर रहें । उस अनुसार उसी स्थान पर प्रकट गुरु श्री महंतस्वामी महाराज की प्रेरणा से प्रमुखस्वामी स्मृति मंदिर निर्मित हुआ है । प्रमुखस्वामी महाराज ने दुनिया भर में १२०० से अधिक मंदिरों का निर्माण किया है और गांधीनगर, दिल्ली और अमरिका में अक्षरधाम के सर्जन द्वारा भारतीय संस्कृति का गौरव बढ़ाया है । उनके युगकार्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनके स्मृति मंदिर की वास्तुकला भी अक्षरधाम के समान ही शोभित है ।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली अक्षरधाम परिसर में स्थित शिखरबद्ध मंदिर की प्रतिष्ठा भी आज ही के दिन वसंत पंचमी को हुई थी । गुरुहरि प्रमुखस्वामी महाराज के इस कलामंडित मंदिर की प्रतिष्ठाविधि 26/01/2023 को सारंगपुर में प्रकट ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामी महाराज की निश्रा में 26/01/2023 को हजारों भाविक-भक्तों की उपस्थिति में संपन्न हुई ।
आपको बता दें कि परम पूज्य महंतस्वामी महाराज द्वारा 17 दिसंबर 2018 को प्रमुखस्वामी महाराज स्मृति मंदिर का शिलान्यास किया गया था । इसके बाद संतों और भक्तों के पुरुषार्थ और भक्ति से चार वर्षों में स्मृति मंदिर तैयार हुआ है । नागर शैली का यह मंदिर 140 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 63 फीट ऊंचा है, जो 7,839 पत्थरों के संयोजन से बना हैं। 1 घुम्मट, 4 सामरण और 16 घुम्मटियाँ हैं । इस स्मृति मंदिर के कलामंडित स्तंभ, घुम्मट आदि भगवान स्वामिनारायण और प्रमुखस्वामी महाराज के समकालीन संतों-भक्तों की शिल्पाकृति से अलंकृत हैं ।
इस मंदिर के केंद्र में, अक्षर-पुरुषोत्तम महाराज के साथ प्रमुखस्वामी महाराज की एक संगेमरमर की मूर्ति विराजमान है। जहाँ बी.ए.पी.एस. संस्था के वरिष्ठ संतों के द्वारा प्रातः वैदिक महापूजा भी संपन्न की गई । इस वैदिक महापूजा में भाग लेने के लिए दुनिया भर से हजारों हरिभक्त आए थे । दोपहर 11.45 बजे स्मृति मंदिर की मुख्य वैदिक प्रतिष्ठाविधि महंतस्वामी महाराज के कर कमलों से सम्पन्न हुई । प्रतिष्ठाविधि के बाद परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने गुरु प्रमुखस्वामी महाराज और प्रमुख स्मृति मंदिर के गुणगान गाए और आशीर्वाद देते हुए कहा कि “इस मंदिर में श्रद्धा से दर्शन करनेवालों के शुभ संकल्प पूर्ण होंगे।” प्रमुखस्वामी महाराज अपने मुख्य कार्यों में ‘भगवान का भजन करना और करवाना ‘ ही कहते थे । अतः यह स्मृति मंदिर भी जीवन में श्रद्धा और भक्ति को दृढ करने का संदेश देता है । ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामी महाराज के अनंत गुणों का स्मरण करते हुए यह प्रमुख स्मृति मंदिर आने वाले दिनों में असंख्य लोगों के लिए श्रद्धा और गुरुभक्ति का एक अनुपम केंद्र बनेगा।