
नई दिल्ली। उदयपुर के कन्हैयालाल की मुस्लिम युवकों द्वारा तालिबानी तरीके से 28 जून को की गयी निर्मम हत्या के विरोध में कोटा में 2 जुलाई को सर्व हिन्दू समाज द्वारा बंद का आह्वान किया गया था, साथ ही सीएडी सर्किल पर स्थित डॉ दयाल जोशी पार्क से संभागीय आयुक्त कार्यालय तक रैली के रूप जाकर संभागीय आयुक्त को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम रखा गया था। यह कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ लेकिन कल किशोरपुरा पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन का हवाला देकर बीजेपी कोटा दक्षिण से विधायक संदीप शर्मा एवं रामगंजमंडी से विधायक मदन दिलावर सहित 15 अन्य बीजेपी एवं हिंदूवादी संगठनों के लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया है। मुकदमा आईपीसी की धारा 143 एवं 188 में दर्ज किया गया है। जबकि इसी रैली में शामिल होने वाली कांग्रेस से ही कोटा दक्षिण से विधायक का चुनाव लड़ चुकी राखी गौतम और अन्य कांग्रेसी पार्षदों पर पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।
पुलिस उप अधीक्षक अंकित जैन ने मुकदमे के ऊपर बताया कि “2 जुलाई को हुए प्रदर्शन पर धारा 143 गैर कानूनी जनसमूह एकत्रित करना, 188 महामारी एक्ट का उल्लंघन व धारा 283 में रास्ते जाम करने के अपराध में मुकदमा दर्ज किया गया है।”
मुख्या तय दर्ज मुकदमे में नामजद आरोपियों के रूप में विधायक संदीप शर्मा, मदन दिलावर, पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल, हीरालाल नागर, भवानी सिंह राजावत, भाजपा जिला उपाध्यक्ष, भाजयुमो शहर जिला अध्यक्ष सुदर्शन गौतम, भाजयुमो देहात के जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर खटाना, विश्व हिंदू परिषद के हौसला प्रसाद, योगेश रेनवाल, सुधीर तांबी, रमेश राठौर, मुकेश जोशी, मुकेश शर्मा, धीरेंद्र शर्मा व अन्य को नामजद किया है।
मुकदमा दर्ज होने पर विधायक संदीप शर्मा ने गहलोत सरकार पर पुलिस प्रशासन का दुरुपयोग कर पक्षपातपूर्ण कार्यवाही का आरोप लगाया है।उन्होंने कहा कि” यह सरकार पुरे तरीके से हिंदू विरोधी है तथा एक समुदाय को पूरी तरीके से सहयोग करती है जबकि हिंदू समाज से द्वेषतापूर्ण व्यवहार करती है । यह प्रदर्शन कोई राजनैतिक नहीं था बल्कि तालिबानी रूप से की गयी हत्या के विरूद्ध सर्व समाज का शांतिपूर्वक प्रदर्शन था,लेकिन सरकार ने सिर्फ बीजेपी के नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया है। यह निश्चित रूप से सरकार की ओछी और पक्षपातपूर्ण मानसिकता का परिचायक है।
वहीं विश्वहिन्दु परिषद एवं बजरंग दल प्रान्त सहसंयोजक योगेश रेनवाल ने भी मुकदमे की कारवाही को “डरा कर चुप करने वाली” कार्यवाही का अनैतिक प्रयास बताया है। रेनवाल ने कहा कि ” हमने प्रशासन को 30 जून को ही इस होने वाले बंद एवं प्रदर्शन की सूचना दे दी थी, और प्रदर्शन पूर्णतया शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ। लेकिन सर्व हिन्दू समाज का आक्रोश उनके खिलाफ होते देख गहलोत सरकार के मंत्रियो को नीदं नहीं आ रही थी इसलिए पुलिस के ऊपर दबाव बनाकर यह मुकदमा करवाया गया है ताकि हम डर जाये और उनके तुष्टिकरण के खिलाफ आवाज न उठाये। लेकिन हम डरेंगे नहीं बल्कि और ज्यादा हिम्मत से सत्य को बाहर लेकर आएंगे, धर्म और देश के लिए लड़ते रहेंगे।”