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UP News : यूपी निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट ने अब 20 दिसंबर तक लगा दी रोक, देखिए OBC रिजर्वेशन को लेकर कहां फंस रहा पेंच

UP News : उच्च न्‍यायालय ने ये भी कहा कि प्रथम दृष्टि से देखने पर ये लगता है कि यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो 5 दिसम्बर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है जब ट्रिपल टेस्ट फॉर्मेलिटी को जल्द से जल्द पूर्ण कर लिया जाए।

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हाल ही में मैनपुरी और रामपुर सीटों हुए उप चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव की बारी है। इस बीच चुनाव की तारीखों को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल, यूपी नगर निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा पर रोक हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर तक बढ़ा दी है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अधिसूचना जारी करने पर पहले 12 दिसम्बर को एक दिन की रोक लगाई थी। सरकार की मांग पर रोक एक दिन के लिए बढ़ी। बुधवार को यह रोक 20 दिसम्बर तक के लिए बढ़ा दी गई है। नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर्स को फॉलो नहीं किया गया है।

आपको बता दें कि चुनावों की तारीख और ओबीसी मुद्दे संबंधी याचिका पर न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ सुनवाई कर रही है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा देने के लिए तीन दिन का समय मांगा। इसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया और तारीखों की घोषणा पर 20 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी है। कहां फंस रहा है मामला यूपी में नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए PIL दायर की गई है।

इसके साथ ही उच्च न्‍यायालय ने ये भी कहा कि प्रथम दृष्टि से देखने पर ये लगता है कि यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो 5 दिसम्बर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है जब ट्रिपल टेस्ट फॉर्मेलिटी को जल्द से जल्द पूर्ण कर लिया जाए।

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय सुरेश महाजन मुद्दे में आदेश दिया था कि ट्रिपल टेस्ट के तहत स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण दिए जाने के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति की जांच करेगा, तत्पश्चात ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को प्रस्तावित करेगा तथा सुनिश्चित करेगा कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो। बता दें कि महापौर और अध्यक्ष सीटों और वार्डों के आरक्षण की जारी अनंतिम अधिसूचना पर सबसे अधिक आपत्तियां पिछड़ी जाति को लेकर आई हैं। आरक्षण पर आपत्ति व सुझाव देने के अंतिम दिन सोमवार को अधिकारी पूरे दिन आपत्तियों को लिस्ट वाइज देखने में लगे रहे।

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