नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों पर लगने वाले टैक्स के संबंध में आज एक अहम फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच ने खनिज प्रधान राज्यों को राहत देते हुए अपने फैसले में कहा कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में दिए गए अपने ही फैसले को पलट दिया। सात जजों की संविधान पीठ ने 1989 में फैसला दिया था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स है।
[BREAKING] Supreme Court rules States have right to levy tax on mineral rights; Justice BV Nagarathna dissents
report by @DebayonRoy https://t.co/9CouQmYlk9
— Bar and Bench (@barandbench) July 25, 2024
अदालत ने हालांकि अपने आज के फैसले यह भी स्पष्ट किया कि संसद के पास खनिजों पर कर लगाने की सीमाएं, प्रतिबंध और रोक तक का अधिकार है मगर जब तक जब तक संसद कोई सीमा नहीं लगाती, तब तक खनिज अधिकारों पर कर लगाने का राज्य के पास पूर्ण अधिकार है। बेंच ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया। सीजेआई चंद्रचूड़ समेत बेंच में शामिल जस्टिस जे. बी. पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस ए. एस. ओका, जस्टिस उज्जवल भुयान, जस्टिस एस. सी. शर्मा और जस्टिस ए. जी. मसीह द्वारा सहमति व्यक्त की गई जबकि जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने फैसले पर अपनी असहमति जताई।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे खनिज संपन्न राज्यों को फायदा होगा। खनिज प्रधान राज्यों की मांग है कि यह फैसला पूर्वव्यापी रूप से लागू हो, जबकि केंद्र सरकार इसे भविष्य के लिए लागू करना चाहती है। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच बुधवार को फिर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केंद सरकार को झटका लगा है क्यों कि खनिजों पर टैक्स लगाने का अधिकार अब राज्यों को मिल जाएगा। वहीं खनिज निकालने वाली माइनिंग कंपनियों को भी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब ज्यादा टैक्स देना होगा।