
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के बाद अब असम के मदरसा संचालकों पर गाज गिरी है। राज्य सरकार ने मदरसों से समस्त जानकारी संग्रहित कर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि राज्य में मदरसों में चल रही गतिविधियों के बारे में पता लगाया जा सकें। इससे पूर्व पुलिस डीजीपी सहित अन्य आलाधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें ही उक्त फैसला लिया गया था। राज्य सरकार ने प्रदेश में संचालित हो रहे सभी मदरसों को दिसंबर माह तक समस्त जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि पूरी स्थिति का पता लगाया जा सकें। ध्यान रहे कि इससे पूर्व ऐसे ही निर्देश उत्तर प्रदेश में संचालित मदरसों को दिए गए थे।
प्रदेश सराकर ने मदरसों के सर्वे के निर्देश दिए थे। जिसका किसी ने विरोध किया तो किसी ने समर्थन किया था। वहीं, उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी मदरसों का सर्वे कराने का निर्देश दिया है। माना जा रहा है कि मदरसों को आधुनिक शिक्षाओं से भी जोड़ने की पहल की जा रही है, ताकि बच्चों को तालीम हासिल करने के बाद रोजगार भी प्राप्त हो सकें।
वहीं, असम सरकार के इस उक्त निर्देश के पीछे की वजह यह है कि कोई भी चरमपंथी तत्व मदरसों में प्रवेश ना कर सकें। ऐसे में उनकी शुचिता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर मदरसों का सर्वे किया जाना जरूरी है। ऐसी स्थिति में आगामी दिनों में प्रदेश सरकार की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। उधर, असम पुलिस के सीपीआरओ राजीव सइकिया ने कहा कि अभी हम एक पोर्टल पर काम कर रहे हैं जहां मदरसों के बारे में भी संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी और यदि कहीं सुधार की गुंजाइश रहेंगी, तो उस दिशा में काम किया जाएगा। डीपीजी ने आगे कहा कि हमने दो मदरसों के बीच 100 मीटर की दूरी निर्धारित की है और यह भी फैसला किया है कि सभी मदरसों में कम से 100 बच्चों का ही नामांकन किया जाए।