newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Madhya Pradesh: ‘मां सरस्वती की प्रतिमा हो स्थापित और नमाज पर लगे रोक’, इंदौर में हिंदू ने की ऐसी मांग, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

Madhya Pradesh: आपको बताते चलें कि  इस पूरे मसले को लेकक अतीत में भी हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद देखने को मिल चुके हैं। जिसे अब संज्ञान में लेने के उपरांत कड़ी कार्रवाई करने की फैसला किया गया है। लिहाजा उक्त मसले को लेकर दोनों ही पक्षों के बीच किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न हो, जिसको ध्यान में रखते हुए 2 मई 1997 को धार के तत्कालीन कलेक्टर ने भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद में जनसामान्य के प्रवेश पर रोक लगा दी थी।

नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर पिछले कुछ दिनों से सियासी गलियारों में बहस का सिलसिला जारी है। जहां एक तरफ हिंदू पक्ष के लोगों का कहना है कि यहां मंदिर था, जिसे मुस्लिम आक्रांताओं ने ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करवा दिया है। फिलहाल, उपरोक्त प्रकरण को लेकर मसला कोर्ट में विचाराधीन है। बीते दिनों कोर्ट ने उक्त मसले को लेकर सर्वे करने का निर्देश दिया था, लेकिन कथित तौर पर मुस्लिम पक्षों के विरोध के परिणामस्वरूप सर्वे नहीं हो पाए थे, लेकिन  मुस्लिम पक्षों ने सभी विरोधों को सिरे से खारिज कर दिया था। अब इसी बीच यह मसला सुलझा भा नहीं है कि अब एक ऐसा ही मसला प्रकाश में आ गया है। बता दें कि यह मसला प्रदेश के इंदौर से शहर से सामने आया है। इस मसले को लेकर हिंदू पक्षों ने तो बकायदा नमाज बंद कराकर सरस्वती की मूर्ति स्थापित करने की मांग की है। आइए, आगे आपको इस पूरे मसले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

Eid Namaz Restricted on the road in jabalpur Eid Ul Fitr 2022 Eid Namaz  timing sdmp | Eid Namaz Restricted: ईद से पहले इस तरह की नमाज में लगी  पाबंदी, इसलिए लिया

जानिए पूरा माजरा

दरअसल, मध्यप्रदेश के धार भोजशाला मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। जिसमें कोर्ट के निर्देश के परिणामस्वरूप सरस्वती की मूर्ति स्थापित करने की मांग की है। पूरे मामले की वीडियोग्राफी करने की मांग की गई है। बता दें कि इस पूरे मसले में एडवोकेट हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और पार्थ असिस्टेंट के रूप में शामिल हुए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उसे वापस लाने की मांग की गई है। इतना ही नहीं, वहां से नमाज बंद कराने की मांग भी की गई है। बता दें कि वर्तमान में अभी नमाज वहां पढ़ी जाती है और बसंत पंचमी के दिन हिंदू पक्षों की तरफ से पूजा भी की जा रही है। अब इसी बीच हिंदू पक्ष ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है कि उन्हें वहां नियमित तौर पर पूजा करने की इजाजत दी जाए और मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से रोका जाए। हिंदू पक्षों ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि अगर उन्हें पूजा करने की इजाजत नहीं दी गई, तो आगामी दिनों में हम दूसरी कानूनी कार्रवाई करेंगे। फिलहाल  कोर्ट ने उक्त मामले को संज्ञान में लेने के उपरांत केंद्र सरकार समेत एएसआई को नोटिस जारी किया है। अब ऐसी स्थिति में देखना होगा कि आगे चलकर इस पूरे मामले में क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। चलिए, इस पूरे मसले को तनिक बारिकी से समझते हैं।

बकरीद के मौके पर देहरादून के ईदगाह में हुई नमाज

आपको बताते चलें कि  इस पूरे मसले को लेकक अतीत में भी हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद देखने को मिल चुके हैं। जिसे अब संज्ञान में लेने के उपरांत कड़ी कार्रवाई करने की फैसला किया गया है। लिहाजा उक्त मसले को लेकर दोनों ही पक्षों के बीच किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न हो, जिसको ध्यान में रखते हुए 2 मई 1997 को धार के तत्कालीन कलेक्टर ने भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद में जनसामान्य के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद साल 2003 में एएसआई की तत्कालीन डायरेक्टर जनरल ने शुक्रवार को नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दे दी थी और हिंदुओं को हर मंगलवार और वसंत पंचमी पर पूजा की अनुमति दी थी। अब एक बार फिर से यह पूरा माजरा प्रकाश में आया है, तो ऐसी स्थिति में यह देखने वाली बात होगी कि इस पूरे मसले को लेकर आगे क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। तब तक के लिए आप देश दुनिया की हर छोटी बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए… न्यूज रूम पोस्ट.कॉम