नई दिल्ली। वो 21 मई 1991 की तारीख थी। देश में आम चुनाव होने थे। प्रचार चल रहा था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी चुनाव प्रचार में जुटे थे। वो 21 मई को तमिलनाडु के दौरे पर थे। कई जगह से होते हुए उनकी आखिरी जनसभा श्रीपेरंबुदुर में होने वाली थी। सूरज ढल चुका था। इसी बीच, देश के तमाम हिस्सों में तेज आंधी चली। आंधी से जगह-जगह बिजली गुल हो गई। लंबे वक्त बाद जब बिजली आई, तो साथ में दुखदायी खबर भी टीवी और रेडियो पर आने लगी। राजीव गांधी का एक आतंकी हमले में निधन हो गया था। ये आतंकी हमला श्रीपेरंबुदुर में हुआ था। राजीव के साथ ही बम धमाके में कई और लोग भी जान गंवा चुके थे।
इस धमाके की जांच सीबीआई को सौंपी गई। मौके पर सीबीआई पहुंची। राजीव गांधी के शव का बम विस्फोट से ऐसा हाल हुआ था कि उनकी पहचान पैरों के नाइकी जूतों से की गई। सीबीआई ने हमलावर की पहचान एक कैमरे में खींची गई फोटो से की। हमलावर का नाम धनु था। वो कमर पर बम बांधकर हाथ में माला लेकर राजीव गांधी के सामने गई थी और धमाका कर दिया था। इस धमाके से राजीव के जिस्म के चिथड़े उड़ गए थे और उनके शरीर के कई अंग दूर जाकर गिरे थे।
सीबीआई ने इस धमाके के लिए शिवरासन नाम के एलटीटीई नेता को जिम्मेदार बताया। उसी ने अपने साथी हरि बाबू के कैमरे से हमलावर धनु और अन्य लोगों के फोटो खिंचवाए थे। धमाके के बाद नलिनी और पेरारीवलन समेत कई को गिरफ्तार किया गया। शिवरासन एक एनकाउंटर में मारा गया। पेरारीवलन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा हुआ है। जबकि, नलिनी अभी जेल में है। नलिनी को मिली फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। राजीव गांधी की हत्या के बाद ही हर साल 21 मई को Anti Terrorism Day मनाया जाता है।