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Friendship Special: इस इंसान की है हजारों परिंदों से दोस्ती, रोज करते हैं कुछ ऐसा कि सुनकर हो जाएंगे हैरान

Friendship Special: अगर बराबरी देखकर की जाए तो उसे दोस्ती नहीं कह सकते। दोस्ती तो हर ऊंच-नीच और अंतरों से ऊपर है। आज हम फ्रेंडशिप डे स्पेशल में एक ऐसी ही दोस्ती के बारे में बात करने जा रहे हैं। जी हां, आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति की, जिसकी दोस्ती परिंदों से है, एक परिंदा नहीं हजारों परिंदों से…

नई दिल्ली। कल फ्रेंडशिप डे है।  इस दिन को दोस्ती दिवस भी कह सकते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे संग अपनी दोस्ती को सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन कौन कहता है कि दोस्ती सिर्फ इंसानों से होती है, दोस्ती तो किसी से भी हो सकती है। फिर चाहे वो मदर नेचर हो, कोई जानवर हो या फिर कोई पक्षी। क्योंकि दोस्ती वो शय है जो हर भेदभाव से परे है। अगर बराबरी देखकर की जाए तो उसे दोस्ती नहीं कह सकते। दोस्ती तो हर ऊंच-नीच और अंतरों से ऊपर है। आज हम फ्रेंडशिप डे स्पेशल में एक ऐसी ही दोस्ती के बारे में बात करने जा रहे हैं। जी हां, आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति की, जिसकी दोस्ती परिंदों से है, एक परिंदा नहीं हजारों परिंदों से…

परिंदों से दोस्ती

इस शख्श का नाम है हसमुखभाई डोबरिया। यह राज जूनागढ़ जिले के केशोद गांव में रहते हैं। इनके दोस्त रोज इनसे मिलने आते हैं। सुबह होते ही इनके दोस्तों की कतार लग जाती है। इनके दोस्तों में तोते गौरैया और अलग-अलग प्रकार के परिंदे शामिल हैं। जो हर रोज हसमुख भाई के घर के बाहर आ जाते हैं और उनके घर से बाहर निकलने का इंतजार करते हैं।

हसमुख भाई ने भी अपने परिंदे दोस्तों के लिए विशेष व्यवस्था की है। इन सभी परिंदों के बैठने के लिए उन्होंने लाखों रूपये खर्च कर इनके लिए आशियाना बनवाया है। शुरुआत में यह दोस्ती दो परिंदों से हुई थी। अब यह हजारों तक पहुंच गई है। शुरुआती दिनों में दो परिंदों को इन्होंने बाजरी के दाने खिलाए। इसके बाद परिंदे रोज घर के दरवाजे पर आने लगे। हसमुख भाई का भी लगाव बढ़ता गया और उन्होंने इसके लिए पाइप और स्टील से खास प्रकार का मंच तैयार किया। जिस पर हजारों परिंदे जाकर रोज बैठते हैं। हसमुख भाई अब अकेले नहीं पूरा परिवार इन परिंदों की सेवा करता है।

हर साल करीब डेढ़ से दो लाख रुपए की बजरी और ज्वार वह इन परिंदों को खिलाते हैं। सुबह होते ही इन परिंदों की आवाज शुरू हो जाती है। परिवार के सभी लोग ज्वार और बाजरी लेकर इन परिंदों को खिलाते हैं और अब यह आकर्षण का केंद्र है। यह सिलसिला पिछले 26 सालों से लगातार जारी है। इनके बनाए गए खास प्लेटफार्म पर हजारों परिंदे आकर रोज बैठते हैं। करीब 7000 परिंदे रोज आते हैं, जिसमें तोते, गिलहरी, कबूतर, गौरैया प्रमुख रूप से हैं। बगैर किसी भय के परिंदे यहां पर अपना दाना चुनते हैं। पंछियों के साथ इनकी यह दोस्ती वाकई काबिले तारीफ है और खास बात यह है कि वह ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई ज्वार और बाजरा परिंदों को खिलाते हैं।