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Fine Imposed In JNU: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में धरना-प्रदर्शन और देशविरोधी नारेबाजी करने वालों पर प्रशासन सख्त, अब लगेगा बड़ा जुर्माना

पिछले करीब 9-10 साल से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कई धरना-प्रदर्शन हुए, मारपीट की घटनाएं हुईं और देशविरोधी नारेबाजी करने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग की वजह से कैंपस बदनाम हुआ। अब ऐसी ही घटनाओं को रोकने के लिए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सख्ती बरतने का फैसला किया है।

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने कैंपस में धरना-प्रदर्शन और देशविरोधी नारेबाजी करने वालों पर नकेल कस दी है। दिल्ली की नामचीन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अब धरना-प्रदर्शन करने पर 20000 रुपए और देशविरोधी नारेबाजी करने पर 10000 रुपए का जुर्माना छात्र पर लगेगा। पिछले करीब 9-10 साल से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कई धरना-प्रदर्शन हुए, मारपीट की घटनाएं हुईं और देशविरोधी नारेबाजी करने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग की वजह से कैंपस बदनाम हुआ। अब ऐसी ही घटनाओं को रोकने के लिए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सख्ती बरतने और जुर्माना लगाने का फैसला किया है। पहली बार देश की किसी यूनिवर्सिटी में धरना-प्रदर्शन या देशविरोधी नारेबाजी पर इस तरह जुर्माना लगाने का फैसला किया गया है।

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में धरना-प्रदर्शन और देशविरोधी नारेबाजी पर जुर्माना लगाए जाने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी की प्रतिक्रिया आई है। न्यूज चैनल आजतक के मुताबिक एबीवीपी के मीडिया इंचार्ज अंबुज तिवारी ने धरना-प्रदर्शन करने वालों पर जुर्माना लगाने के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी प्रशासन के फैसले को गलत बताया है। अंबुज तिवारी ने कहा कि पहले भी इस तरह का तुगलकी फरमान आया था और एबीवीपी की तरफ से जमकर विरोध के बाद उसे वापस लिया गया था। एबीवीपी नेता ने हालांकि ये कहा कि देशविरोधी नारेबाजी पर जुर्माना लगाना सही है।

jnu campus

एबीवीपी के अलावा जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में वामपंथी छात्रों के संगठन और कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआई भी हैं। हालांकि, इस यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति में वामपंथी दलों का दबदबा है। इन्हीं वामपंथी छात्रों पर देश को टुकड़े-टुकड़े करने की नारेबाजी का आरोप लगता रहा है। एबीवीपी और वामपंथी छात्र संगठनों के सदस्यों के बीच कई बार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हाथापाई और मारपीट की भी खबरें आती रही हैं। अब धरना-प्रदर्शनों और देशविरोधी नारेबाजी पर जुर्माने से ऐसे संघर्षों को भी रोकने में काफी मदद मिल सकती है।