
नई दिल्ली। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चंद्रयान-3 ने चांद पर बड़ी खोज की है। चंद्रयान-3 में लगे चेस्ट CheSTE उपकरण ने पता लगाया है कि वहां ध्रुवों से दूर इलाकों में भी सतह के नीचे बड़े पैमाने पर बर्फ हो सकती है। चेस्ट उपकरण ने इसरो को जो डेटा भेजा, उसके विश्लेषण के बाद चांद की सतह के बारे में ये अंदाजा लगा है। चांद पर अगर बड़ी तादाद में बर्फ हुई, तो वहां इंसानी बस्तियां बसाने में काफी मदद मिलेगी। चंद्रयान-3 के चेस्ट उपकरण से चांद की सतह के नीचे पानी होने की संभावना की जानकारी कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट पत्रिका में छपी है। इसरो से जुड़े अहमदाबाद के पीआरएल में वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के भेजे डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि चांद की सतह पर ऊंचाई में छोटे से बदलाव से ही तापमान में बड़ा अंतर आ जाता है।
पीआरएल के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के डेटा का विश्लेषण करके ये भी पाया कि चांद के ढलान वाले इलाकों में सूरज की सीधी किरणें नहीं पड़तीं। ऐसे इलाकों में धरती के ध्रुवों की तरह का वातावरण बन सकता है। इसकी वजह से चांद के ऐसे इलाकों में सतह के नीचे बर्फ बन सकती है। इससे पहले भारत के भेजे चंद्रयान-1 ने चांद की कक्षा में चक्कर लगाते हुए वहां के ध्रुवों पर बर्फ होने की खोज की थी। अब चंद्रयान-3 जिस शिवशक्ति प्वॉइंट पर उतरा, वहां बर्फ की संभावना का वैज्ञानिकों ने पता लगाया है। शिवशक्ति प्वॉइंट चांद के दक्षिणी ध्रुव के सबसे करीब है। इस जगह यान उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।
चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर ढलान वाली जगह उतरा था। फिर उससे चेस्ट उपकरण का प्रोब निकलकर चांद की सतह को छेदते हुए नीचे गया था। ढलान की सतह पर विक्रम लैंडर के उपकरणों ने 82 डिग्री सेल्सियस का तापमान दर्ज किया था। वहीं, एक अन्य सेंसर जब 10 सेंटीमीटर भीतर गया, तो वहां तापमान 59 डिग्री मिला। यानी दोनों तापमान में अंतर था। चेस्ट उपकरण थर्मामीटर की तरह काम करता है। पहली बार ऐसा हुआ है कि चांद पर उतरे यान के उपकरण से वहां का तापमान मापा गया। इससे पहले चांद की कक्षा में चक्कर लगाने वाले यान धरती के उपग्रह का तापमान मापते थे। इससे चांद का सटीक तापमान पता नहीं चलता था।