newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Coronavirus: मोदी को निशाना बनाने के लिए एजेंडाधारियों ने जानबूझकर छुपाया कोरोना की दूसरी लहर का ये सच!

Coronavirus: मोदी से नफरत करने वाले कुनबे ने इस आपदा में भी अवसर तलाश लिया। मोदी को बदनाम करने के लिए लोगों की लाशों पर राजनीति की गई। वामपंथी कामरेड खासकर सक्रिय हो गए। किसी ने एक बार भी इस बारे में सोचने की जहमत नहीं उठाई कि इस वायरस को भारत में सक्रिय करने के पीछे चीन की खतरनाक साजिश हो सकती है।

कोरोना को लेकर देश और विदेश में इस समय बड़े पैमाने पर प्रोपोगेंडा फैलाया जा रहा है। इस प्रोपोगेंडा के तहत देश को श्मशान की जमीन करार देने से लेकर मोदी को विलेन साबित करने तक का अभियान छेड़ा जा चुका है। वाशिंगटन पोस्ट, टाइम, न्यूयार्क टाइम्स सरीखे विदेशी पब्लिकेशन अधकचरी जानकारी और अधूरे तथ्योँ के आधार पर गुमराह करने का पूरा का पूरा एक कैंपेन चला रहे हैं। मीडिया के कुछ धड़े और सोशल मीडिया पर सक्रिय कुछ घोषित मोदी नफरती पूरी ताकत से इस झूठे प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं।

Modi Meeting

आंकड़े इस झूठ का पर्दाफाश करते हैं। ये एक तथ्य है कि कोरोना के इस विपदाकाल में भी 85 फीसदी से अधिक लोग बिना किसी अस्पतालों में गए ही घर पर ठीक हो रहे हैं। 5 फीसदी के करीब ही ऐसे मरीज हैं जिन्हें क्रिटिकल हॉस्पिटल केयर की जरूरत पड़ रही है। मगर इस तथ्य को जानबूझकर अनदेखा कर दिया गया। सोचने वाली बात यह भी है कि आखिर क्यों भारत में ही इस वायरस का इतना खतरनाक असर हुआ। क्यों पड़ोसी बांग्लादेश या पाकिस्तान में इसका कोई असर नहीं हुआ जबकि इन दोनो ही देशों में स्वास्थ्य की आधारभूत सुविधाओं का टोटा है। कोरोना की पहली लहर में ये दोनों ही देश मदद के लिए भारत की ओर देख रहे थे। मगर इस जानलेवा चाइनीज वायरस ने खतरनाक शक्ल में आखिर भारत में ही क्यों अटैक किया?

PM Narendra Modi

मोदी से नफरत करने वाले कुनबे ने इस आपदा में भी अवसर तलाश लिया। मोदी को बदनाम करने के लिए लोगों की लाशों पर राजनीति की गई। वामपंथी कामरेड खासकर सक्रिय हो गए। किसी ने एक बार भी इस बारे में सोचने की जहमत नहीं उठाई कि इस वायरस को भारत में सक्रिय करने के पीछे चीन की खतरनाक साजिश हो सकती है। वामपंथियों के लिए वैसे भी चीन की जगह मक्का की तरह है। 1962 की लड़ाई से लेकर हाल के लद्दाख गतिरोध तक ये वामपंथी चीन के ही सगे रहे। स्वास्थ्य राज्य का विषय है। यह एक घोषित तथ्य है। स्वास्थ्य की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। पर किसी भी आलोचक ने राज्य के मुख्यमंत्रियों की जिम्मेदारी तय करने की जहमत नहीं उठाई। जानबूझकर उन्हें क्लीन चिट दी गई।

मुख्यमंत्रियोँ ने अपने-अपने राज्यों में अस्पतालों की दुर्दशा दूर करने के लिए कदम नहीं उठाए। ऑक्सीजन के इंतजाम से लेकर बेड, वेंटिलेटर और दवाओं तक उनकी नाकामी की लंबी फेहरिस्त रही। बावजूद मोदी से नफरत करने वाला तबका हर चीज़ के लिए मोदी को ही जिम्मेदार ठहराता रहा। देश में आजादी के बाद से अब तक हेल्थ केयर पर जरूरी काम नहीं हुआ। इसके लिए भी मोदी को ही जिम्मेदार बता दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल 2021 को अपने एक ऑब्जर्वेशन में गुजरे 70 सालों की अव्यवस्था की जवाबदेही की ओर भी इशारा किया। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की- पिछले 70 सालों में जो आधारभूत ढांचा हमें मिला, वो पर्याप्त नहीं था। हालात बेहद ही खराब हैं।

Modi

अब जरा देश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर भी नजर डालते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने तक देश में केवल एक ही एम्स बना था। आजादी के बाद लंबे समय तक राज करने वाली कांग्रेसी सरकारें स्वास्थ्य के मोर्चे पर आंख मूंदे रहीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने 6 एम्स खोलने का निर्णय लिया। इन्हें उन राज्यों में खोलने का फैसला किया गया जहां स्वास्थ्य की अच्छी सुविधाएं नहीं थीं। इसमें भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश शामिल था। जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो उसने देश भर में कुल 14 एम्स स्थापित करने का फैसला लिया ताकि पूरे देश के लिए सुविधाएं दी जा सके। साल 2014 तक देश में केवल 50000 मेडिकल की सीटें थीं। पिछले छह सालों में 30000 अतिरिक्त सीटें जोड़ी गईं।

PM Modi Namaste

राज्य सरकारों को दोहरा रवैया कोरोना के दौर की बड़ी मुसीबत रहा। जब कोरोना की पहली लहर में मोदी सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान किया तो इन्हीं राज्यों में से कई ने आपत्ति दर्ज कराई। अपनी जरूरत के मुताबिक रणनीति के तर्क दिए। केंद्र सरकार लगातार राज्य सरकारों को कोरोना की दूसरी लहर के बारे में आगाह करती रही। चार बार बाकायदा राज्य सरकारों को लिखित तौर पर आगाह किया गया मगर राज्य सरकारों ने आंखे मूंद कर रखीं और अब जब विपदा आ गई तो मोदी को टारगेट करने का अभियान शुरू किया गया। पीएम मोदी की सक्रियता का ये आलम रहा कि उन्होंने अप्रैल, मई के महीने में कोविड से निपटने के लिए 28 मीटिंग्स की। 30 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसकी ओर से राज्य सरकारों को लगातार कोरोना की दूसरी लहर को लेकर आगाह किया जा रहा है, मगर राज्यों ने अपना डेटा तक अपडेट नहीं किया।

देश में मेडिकल ऑक्सीजन की कुल जरूरत 8462 MT की तुलना में देश के 22 बेहद जरूरत वाले राज्यों को 8410 MT ऑक्सीजन पहले ही आवंटित किया जा चुका है। केंद्र सरकार की ओर से जर्मनी, सिंगापुर, यूएई जैसे देशों से ऑक्सीजन सप्लाई के लिए टैंकर मंगाए गए हैं। आर्मी से लेकर नेवी तक को इस अभियान में उतारा जा चुका है। जिन देशों को भारत ने वैक्सीन भेजी थी, आज वे जरूरत पड़ने पर देश के साथ खड़े हैं। इस सबके बावजूद सिर्फ मोदी को टारगेट करने के लिए जानबूझकर विषैला अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में जुटे लोग आम जनता की लाशों पर वोटों की खेती करने का सपना पाल रहे हैं।