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UP: अब स्वामी प्रसाद को फिर मोहरा बनाने जा रहे अखिलेश यादव, 2024 में जीत के लिए चलने जा रहे ये दांव

अब तक पिछड़ी जाति में यादव ही सपा के कोर वोटर थे। कुछ गैर यादव पिछड़ों के वोट भी पार्टी को मिलते रहे। फिर ये गैर यादव पिछड़े बीजेपी के साथ 2014 में चले गए। अखिलेश यादव ने योगी सरकार में इन्हीं पिछड़ों में शामिल मौर्य वर्ग के नेता स्वामी प्रसाद को तोड़ा।

लखनऊ। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव का सपना इस बार यूपी में सरकार बनाने का था। तमाम दलों से उन्होंने गठजोड़ किया। योगी सरकार के भी तीन मंत्री तोड़े, लेकिन विधानसभा चुनाव में सपा के गठबंधन को सिर्फ 125 सीटें ही मिल सकीं। जबकि, बीजेपी के गठबंधन ने 273 सीटें हासिल कर एक बार फिर यूपी में सत्ता हासिल कर ली। ऐसे में अब अखिलेश यादव की नजरें 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर लग गई हैं। यूपी में हुए चुनाव में गैर यादव पिछड़ा वोटरों ने बीजेपी का साथ दिया। ऐसे में इस पिछड़ा वर्ग को अपने साथ लाने की कवायद वाली सियासत में अखिलेश यादव अब जुट गए हैं। उन्होंने इसके लिए नया फॉर्मूला तलाशा है।

akhilesh and mulayam

अब तक पिछड़ी जाति में यादव ही सपा के कोर वोटर थे। कुछ गैर यादव पिछड़ों के वोट भी पार्टी को मिलते रहे। फिर ये गैर यादव पिछड़े बीजेपी के साथ 2014 में चले गए। अखिलेश यादव ने योगी सरकार में इन्हीं पिछड़ों में शामिल मौर्य वर्ग के नेता स्वामी प्रसाद को तोड़ा। स्वामी प्रसाद ने भी दावा किया था कि वो पिछड़ों की मदद से बीजेपी को उखाड़ फेंकेंगे, लेकिन खुद फाजिलनगर की सीट पर स्वामी हार गए। अब इन्हीं स्वामी प्रसाद को मोहरा बनाकर अखिलेश अपना पिछड़ा वर्ग को जुटाने की चाल चलने जा रहे हैं।

swami prasad maurya bjp

सपा के सूत्रों के मुताबिक अखिलेश और स्वामी प्रसाद की मीटिंग रविवार को हुई। इस मीटिंग के बाद तय हुआ है कि अखिलेश अब स्वामी को करहल सीट से चुनाव लड़ाएंगे। करहल सीट मैनपुरी जिले में है और अखिलेश यादव ने यहां से विधानसभा चुनाव जीता है। करहल सीट से इस्तीफा देकर वहां से अब स्वामी प्रसाद को चुनाव जिताकर अखिलेश यादव गैर यादव पिछड़ी जातियों को ये संदेश देना चाहते हैं कि वो यादवों के अलावा अन्य पिछड़ों की भी फिक्र करते हैं। बता दें कि यूपी में सबसे ज्यादा करीब 44 फीसदी पिछड़े वर्ग के वोटर हैं। इन्हें अब बीजेपी से तोड़कर सपा के खेमे में लाने की कोशिश है, लेकिन देखना ये है कि अखिलेश अपने इस दांव में कितने कामयाब हो पाते हैं।