
नई दिल्ली। स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था। राजेन्द्र प्रसाद का आज 138वीं जयंती है। इनके पिता का नाम महादेव सहाय था और इनकी माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। इनके पिता संस्कृत व फारसी भाषा के बहुत बड़े विद्वान थे, जबकि इनकी माता धार्मिक महिला थी। वे राजेन्द्र प्रसाद को रामायण की कहानियां भी सुनाया करती थी। डॉ प्रसाद का बाल विवाह 12 साल की उम्र में हो गया था। इनकी पत्नी का नाम राजवंशी था। 5 साल की उम्र में ही इनके माता-पिता इनको मौलवी के पास भेजने लगे थे ताकि इनको अन्य भाषाओं का ज्ञान हो सकें।
राजेन्द्र प्रसाद की शिक्षा
डॉ राजेंद्र प्रसाद बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा छपरा, फिर पटना के कॉलेज से पढ़ाई की। इन्होंने कोलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से भी पढ़ाई की। जिसके बाद 1915 में कानून की उत्तरो स्नातक डिग्री एमएलएम पास करने के बाद इन्होंने कानून के विषय में ही डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की जिसके बाद इन्हें डॉ राजेन्द्र प्रसाद कहने लगे।
हमेशा देश सेवा की
राजेंद्र प्रसाद हमेशा ही देश सेवा में लगे रहे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने देश में अकाल और बाढ़ पीड़ितों के सेवा में खुद को झोंक दिया तो देश का पहला राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनकी सादगी को सभी का भरपूर सम्मान और स्नेह मिलता रहा अपने राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने खुद को देश सेवा में लगाया हुआ था। राजेंद्र प्रसाद के राष्ट्रपति बनने के बाद केवल वहीं लोग हैरान हुए थे जो इन्हें नहीं जानते थे। देश में सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति बनने वाले नेता है।