उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में 41 मजदूरों को फंसे हुए आज 15वां दिन है। 12 नवंबर को जब मजदूर सिलक्यारा सुरंग में काम कर रहे थे, तब तड़के 5.30 बजे के करीब सुरंग में धंसाव हो गया था। इस धंसाव से सिलक्यारा सुरंग में 60 मीटर तक मलबा जमा हो गया और इस मलबे के पीछे सारे मजदूर फंस गए। इन मजदूरों को निकालने की अब तक की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं। अब सिलक्यारा सुरंग में वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए डेढ़ मीटर व्यास का हिस्सा काटकर मजदूरों को वहां से निकालने की तैयारी की जा रही है। सिलक्यारा सुरंग के ऊपर ड्रिलिंग के लिए जरूरी मशीन भी पहुंच चुकी है। इसके अलावा इसके लिए जगह भी पहले ही चिन्हित की जा चुकी है, लेकिन अब तक वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू नहीं किया गया है। ऐसे में आसार यही हैं कि अगर आज से वर्टिकल ड्रिलिंग होती है, तो सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर आने में कुछ और दिन लग सकते हैं।
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Latest visuals outside the tunnel where operation is underway to rescue the 41 workers who got trapped here on 12th November.
Preparation of protection umbrella is underway inside the tunnel where the people from the rescue team… pic.twitter.com/2eKPJGNuk4
— ANI (@ANI) November 26, 2023
Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Preparation of protection umbrella underway inside the tunnel where the people from the rescue team are working. pic.twitter.com/nlScvvs4zy
— ANI (@ANI) November 26, 2023
फिलहाल मजदूरों को एक पाइपलाइन से भोजन, दवा और जरूरी चीजें दी जा रही हैं। उनतक कैमरा पहले ही पहुंचा दिया गया था। बताया जा रहा है कि अब मजदूरों को एक लैंडलाइन फोन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। मजदूरों में से कुछ की तबीयत खराब होने की जानकारी मिली थी। हालांकि, ये बताया जा रहा है कि वे ठीक हैं। मजदूरों को वक्त बिताने के लिए फोन और कुछ गेम भी भेजे गए हैं। सिलक्यारा सुरंग के दूसरी तरफ यानी बड़कोट की तरफ से भी सुरंग को काटने का काम चल रहा है। उस जगह डायनामाइट लगाकर 3 बार धमाका किया गया और पत्थरों को तोड़ा गया है। गार्ड वॉल बनने के बाद दूसरी तरफ से कटर के जरिए सुरंग को काटने का काम होगा। दूसरी तरफ से हालांकि मजदूरों तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्योंकि वहां से दूरी 400 मीटर से ज्यादा है।
मजदूरों के सामने 60 मीटर की दूरी तक जो मलबा आ गया है, उसे काटकर 800 मिलीमीटर की पाइप बिछाई जा रही थी। मलबे को काटने के लिए अमेरिका की ऑगर मशीन का इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन मलबे में स्टील की मोटी सरिया भी होने के कारण ऑगर मशीन के ब्लेड क्षतिग्रस्त हो गए और उसे ठीक करना नामुमकिन दिखने लगा। जिसके बाद अब वर्टिकल ड्रिलिंग का इरादा है, लेकिन यहां भी अगर सुरंग का ऊपरी हिस्सा काटने में सरिया सामने आ गईं, तो इस तरीके से मजदूरों को निकालने में भी दिक्कत आ सकती है।