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UCC Gujarat : क्या गुजरात में यूनिफॉर्म सिविल कोड बनेगा बीजेपी का दांव ? UCC के सहारे 2022 नहीं 2024 की ओर देख रही BJP ?

UCC : पार्टी के सूत्रों को ऐसा लगता है कि भाजपा अगले आम चुनाव में बड़ी जीत हासिल करना चाहती है। इस दौरान भाजपा शासित राज्य UCC को लेकर जनता का मूड देखेंगे। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी के पास इस कानून पर जनता के विचार जानने के लिए पर्याप्त समय होगा।

नई दिल्ली। गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 से पहले हर पार्टी अपने स्टार प्रचारकों के साथ चुनावी मैदान में डटी हुई है। इसी बीच गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा फैसला किया है सरकार अब समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने के लिए कमेटी गठित करने वाली है। वहीं खबर तो ये भी है कि पार्टी UCC के जरिए विधानसभा चुनाव के बजाए 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देख रही है। बहरहाल राज्य में चुनाव की तारीखों का ऐलान होना बाकी है। पहले भाजपा बनाम कांग्रेस हुए मुकाबला आम आदमी पार्टी की एंट्री के साथ त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। ऐसे में अगर सरकार (यूसीसी) समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कोई बड़ा कदम उठाती है तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा।

वहीं एक समाचार चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, अब पार्टी के सूत्रों को ऐसा लगता है कि भाजपा अगले आम चुनाव में बड़ी जीत हासिल करना चाहती है। इस दौरान भाजपा शासित राज्य UCC को लेकर जनता का मूड देखेंगे। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी के पास इस कानून पर जनता के विचार जानने के लिए पर्याप्त समय होगा। यह भी हो सकता है कि इस कानून पर राय जानने के लिए सरकार कोई कदम उठाए। आपको बता दें कि पूरे देश में कृषि कानूनों के खिलाफ चले किसान आंदोलन और कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) का शीर्ष नेतृत्व सरकार को प्रस्तावित कानून के संबंध में लोगों के विचार जानने की सलाह दे रहा है। इसी बीच भाजपा अपने शासन वाले राज्यों में UCC लागू करने को लेकर माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। वहीं विपक्षी दल सरकार के इस फैसले से बैकफुट पर आ सकते हैं। इसी डर से सभी दलों ने अपना प्रचार तेज कर दिया है।

क्या अब राज्य का रास्ता अपनाएगी केंद्र सरकार ?

इस खबर के सामने आने पर पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर केंद्र के जरिए नहीं, तो भाजपा शासित राज्यों में UCC को सफलतापूर्वक लागू कर उन राज्यों के लिए उदाहरण पेश किया जा सकता है, जहां विपक्षी दलों की सरकार है। उन्होंने कहा, ‘अधिकांश राज्यों में लागू करने के बाद, केंद्रीय स्तर पर UCC को लागू करने अपेक्षाकृत आसान हो जाएगा।’ गुजरात के अलावा उत्तराखंड ने UCC लागू करने के लिए कमेटी गठित करने की बात कही है। वहीं, असम और हिमाचल प्रदेश सराकरों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। गौरतलब है कि देशभर में इस वक्त समान नागरिक संहिता एक बड़ा मुद्दा है। जिस पर लगातार मुस्लिम समुदाय के लोग एकजुट होकर सरकार का मुखर विरोध करते हुए दिखाई देते हैं।

लेकिन आपको बता दें कि इस कानून पर मुस्लिमों की बात पर गुजरात के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि UCC को लागू करना उन मुस्लिम महिलाओं का समर्थन हासिल करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है, जिन्होंने अलग-अलग पर्सनल लॉ होने के चलते अत्याचारों का सामना किया है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अपनी राय रखते हुए पत्रकार शुभंकर मिश्रा ने ट्वीट किया-
गुजरात चुनावों के बीच ‘Uniform Civil Code’, लागू हुआ तो

– सभी धर्मों के नागरिकों के लिए एक जैसा कानून होगा|
– धर्म या जाति के आधार पर किसी को राहत नहीं मिलेगी|
– शादी और तलाक के मामलों में सभी के लिए कानून एक जैसा होगा|

कोई सवाल जो आप चाहते हैं कि शाम 5बजे दंगल में पूछा जाए।

रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हमने ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाया और देखा कि इससे अलग-अलग चुनावों में हमें कितना समर्थन मिला। UCC के वादे के साथ उन्हें भरोसा मिलेगा कि उनके साथ हिंदू बहनों की तरह ही देश के कानून में समान व्यवहार होगा। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह नहीं चाहते कि समुदाय की महिलाओं को सम्मानजनक जीवन मिले।’ आपको बता दें कि समान नागरिक संहिता लागू होने से मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार मिल जाएंगे जो कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से तीन तलाक जैसी प्रथा का शिकार हुई हैं।