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Farmer suicide: महाराष्ट्र में होती है किसानों की सबसे ज्यादा आत्महत्या, केंद्रीय कृषि मंत्री ने जारी किए आंकड़े

खैर, चलिए छोड़िए, केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ वे ठहरे सियासी सूरमा भी, लिहाजा ऐसे में जब विपक्षी दलों द्वारा केंद्र सरकार की किसान विरोधी माहौल बनाने की कोशिश की जा रही, तो ऐसी स्थिति में उनके तरफ से बयां किए इन आंकड़ों की वजह समझ में आती है।

नई दिल्ली। तो ये है हमारा कृषि प्रधान देश और ये हैं हमारे हमारे कृषि प्रधान देश के यशस्वी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, जो संसद के शीतकालीन सत्र में गर्व से अपनी छाती फुला कर कह रहे हैं कि साल 2019 में कुल 5,957 किसानों ने आत्महत्या की थी और साल 2020 में 5,579 किसानों ने आत्महत्या की है। वाह..! क्या मंत्रमुग्ध कर देने वाली बात केंद्रीय मंत्री के मुख से अवतरित हुई है। वो भी एनसीआरबी जैसी विश्वसनीय आंकड़ों का हवाला देते हुए। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जब अगले बरस लोकसभा का मजमा बैठता है, तो केंद्रीय मंत्री कितने किसानों की मौत का हवाला देकर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हैं।

narendar singh tomar

खैर, चलिए छोड़िए, केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ वे ठहरे सियासी सूरमा भी, लिहाजा ऐसे में जब विपक्षी दलों द्वारा केंद्र सरकार की किसान विरोधी छवि बनाने की कोशिश की जा रही, तो ऐसी स्थिति में उनके तरफ से बयां किए इन आंकड़ों की वजह समझ में आती है, लेकिन यह सोचकर हैरानी…ताज्जुब…और संदेह होता है कि आखिर आर्थिक सशक्तिकरण की दुनिया में अपना विलक्षण व अविस्मरणीय प्रतिभा का लोहा मनवाले वाले राज्य भला क्यों हर वर्ष किसानों की मौत की दौड़ में आगे रहता है। मसला एक वर्ष की हो, तो इसे अपवाद मानकर भी खुद को संतुष्टि दे दी जाए, लेकिन यहां तो महाराष्ट्र ने जीवनपर्यंत किसानों  के आत्महत्या के मामले खुद को आगे रखने की कसम सी खा ली है। बिहार, यूपी, झारखंड और ओडिशा जैसे किसानों की दुर्गति के मामले में पताका फहराने वाले राज्य भी महाराष्ट्र से इस मामले में पीछे रह जाते हैं।

एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, सर्वाधिक किसानों के मौत के मामले में महाराष्ट्र से सामने आए हैं। साल 2020 में महाराष्ट्र में 2,567 किसानों  ने आत्महत्या की थी। इसके अलावा कर्नाटक से 1,072, आंध्र प्रदेश से 564, तेलंगाना से 466, मध्य प्रदेश से 235 और छत्तीसगढ़ से 227 मामले सामने आए। केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के मौत के पीछे की वजह साझा करने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अभी इस पूरे माजरे की तफ्तीश की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सकें कि किस राज्य में किसानों की मौत की वजह क्या है। ताकि उसके निवारण की दिशा में रूपरेखा तैयार कर उसे जींवत किया जा सकें।

सूबा अलग…तो समझिए…वजह है अलग

केंद्रीय कृषि मंत्री ने संसद में कहा कि अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग वजह है। कहीं भारी बारिश, तो कहीं भुस्खलन, तो कहीं बाढ़, तो कहीं आर्थिक संकट, तो कहीं कुदरत की बेवफाई, तो कहीं सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना। फिलहाल केंद्रीय मंत्री ने सदन के जरिए किसानों भाइयों को यह विश्वास दिलाया है कि आने वाले दिनों किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों को न्यूनतम करने के लिए पूरी रुपरेखा तैयार कर उसे जींवत किया जा सकेगा।