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UP: यूपी के किसानों ने आय बढ़ाने के लिए अपनाई ये तरकीब, शुरू किया ये नया प्रयोग

यूपी में शाहजहांपुर के किसान ने पहला प्रयोग कर प्रगति की ओर कदम बढ़ा दिया है इसके साथ ही उन्होंने से फसली खेती भी शुरू कर दी है, जिससे किसानों को दोहरा लाभ होगा। कौशल मिश्रा किसानों के लिए एक रोल मॉडल बनकर सामने आए हैं इन से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी इसी तरह की खेती करने के तरीकों को अपनाने में लगे हैं।

  • नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की ओर यूपी के किसान तेजी से बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार से मिलने वाले बीज, उर्वरकों पर सब्सिडी व अन्य सुविधाओं को देखते हुए गन्ना किसानों ने तेजी से सहफसली खेती अपनानी शुरू कर दी है। यूपी में पहली बार शाहजहांपुर के एक किसान ने बरसात में गन्ना बोया है। इसके साथ ही टमाटर आलू शिमला मिर्च की खेती भी शुरू की गई है। जिससे किसानों को दोहरा लाभ होगा। गन्ने की फसल में आने वाली लागत सहफसली से निकल आयेगी। उत्तर प्रदेश में गन्ने की बुवाई फरवरी से लेकर मार्च के अंतिम सप्ताह तक होती थी इसके बाद किसान गन्ने की बुवाई नहीं करते थे लेकिन शाहजहांपुर के रहने वाले प्रगतिशील किसान कौशल ने बरसात में फ्री 3:30 एकड़ खेत में गन्ना लगाया है। उनका कहना है कि दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में पूरे साल भर गन्ने की बुवाई चलती रहती है।

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यूपी में शाहजहांपुर के किसान ने पहला प्रयोग कर प्रगति की ओर कदम बढ़ा दिया है इसके साथ ही उन्होंने से फसली खेती भी शुरू कर दी है, जिससे किसानों को दोहरा लाभ होगा। कौशल मिश्रा किसानों के लिए एक रोल मॉडल बनकर सामने आए हैं इन से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी इसी तरह की खेती करने के तरीकों को अपनाने में लगे हैं। प्रगतिशील किसान कौशल का कहना है कि महाराष्ट्र में 28 से 30 डिग्री तापमान रहता है। इसकी वजह से वहां गन्ने की बुवाई के बाद उसका अंकुरण और जमाव अच्छा रहता है। बरसात में भी लगभग इतना ही तापमान रहता है। इस वजह से इस समय गन्ने की बुवाई करने पर उसका जवाब अच्छा होता है। जबकि सर्दियों में तापमान कम होने की वजह से गन्ना देरी से अंकुरित होता है। तापमान की वजह से बरसात के सीजन में गन्ने का बीज आधा लगता है। तीन एकड़ में 40 कुंटल गन्ने से बुवाई कर दी गई। जबकि सामान्य मौसम में 80 कुंटल बीज खेतों में डालना पड़ता।

प्रगतिशील किसान मानसून सत्र में गन्ने की खेती के साथ टमाटर आलू शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। इससे फसलों में कीट कम लगते हैं। इसके अलावा गन्ने की लागत सहफसली सब्जियों से निकल आती है। गन्ना किसानों को मुफ्त बचता है। उसकी आय से अपने आप ही आमदनी दोगुनी हो जाती है। गन्ना किसानों के लिए कैबिनेट ने पिछले दिनों समर्थन मूल्य घोषित कर दिया था। इस बार 305 रुपए प्रति कुंतल गन्ने का समर्थन मूल्य रखा गया है। प्रदेश सरकार ने तेजी से गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान किया है। पिछले 100 दिन में योगी सरकार ने आठ हजार करोड़ भुगतान के लक्ष्य के बजाय 14500 करोड़ रुपये गन्ना किसानों का भुगतान किया है। इसके अलावा प्रदेश की चीनी मिलों ने 35 हजार करोड़ का गन्ना खरीदा है। इसमें 29000 करोड रुपए का भुगतान अब तक किया जा चुका है।