नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद उत्तर प्रदेश में मंदिरों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। इस टिप्पणी की विभिन्न राजनीतिक संस्थानों और इतिहासकारों ने आलोचना की है, जबकि अखिल भारतीय बौद्ध संघ स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आगे आया है और उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से न सिर्फ तीखी बहस छिड़ गई है बल्कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी को भी अखिलेश यादव पर हमला बोलना पड़ा है. उन्होंने सवाल किया कि क्या एसपी भी बयानों में व्यक्त विचारों से सहमत हैं. चौधरी ने समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं पर बार-बार सनातन धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया और उनकी मानसिकता के प्रति नाराजगी जाहिर की। उनके अनुसार, ऐसे विचार न केवल विवादास्पद हैं बल्कि उनकी राजनीति की तुच्छ प्रकृति को भी दर्शाते हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने बयानों में बाबा केदारनाथ, बाबा बद्रीनाथ और भगवान जगन्नाथ पुरी जैसे हिंदू आस्था के प्रमुख केंद्रों का जिक्र किया। उनकी टिप्पणियों ने न केवल धार्मिक भावनाओं के सम्मान पर बहस छेड़ दी है, बल्कि किस तरह की ओछी सियासत वो करते हैं इसका भी पर्दाफाश किया है। विवाद बढ़ने पर अखिल भारतीय बौद्ध संघ ने स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में लामबंद होने का फैसला किया है और मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहा है।