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Uttarakhand Laborers Resque Updates: उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग से 41 मजदूरों के निकलने में लग सकते हैं और 12 से 14 घंटे, ऑगर मशीन से मलबा काटने का काम जारी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में 41 मजदूर पिछले 12 दिन से मलबे के पीछे फंसे हैं। इन मजदूरों को निकालने के लिए बचाव का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। ये मजदूर 8 राज्यों के हैं और 12 नवंबर को अचानक सुरंग में धंसाव के कारण मलबे के पीछे फंस गए थे।

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में 41 मजदूर पिछले 12 दिन से मलबे के पीछे फंसे हैं। इन मजदूरों को निकालने के लिए बचाव का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। यहां हम आपको मजदूरों के इस बचाव अभियान के बारे में पल-पल की जानकारी दे रहे हैं।

-पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा है कि मजदूरों को निकालने के लिए ऑगर मशीन से मलबे को काटने का काम जारी है। उन्होंने बचाव कार्य पूरा होने में और 12 से 14 घंटे लगने की बात कही।

-बचाव के काम में एनडीआरएफ को भी लगाया गया है। एनडीआरएफ के डीजी ने उम्मीद जताई कि सबकुछ सही रहा तो आज ही मजदूरों को निकाल लिया जाएगा।

-उत्तराखंड की सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 मजदूरों को आज बचाए जाने की आस बढ़ गई है। ऑगर मशीन से मलबे की खोदाई का काम जारी है। वहीं, डाले जा रहे पाइपों की वेल्डिंग के लिए भी विशेषज्ञ वेल्डर मौके पर पहुंचे हैं।

-उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी मौके पर पहुंचे हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि अब बचाव का काम अंतिम चरण में है। इससे लग रहा है कि जल्दी ही 41 मजदूरों को सिलक्यारा सुरंग से निकालने में सफलता मिल जाएगी।

-अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ आर्नोल्ड डिक्स ने कहा है कि अब ऐसा है कि जैसे हमारे सामने एक दरवाजा है। जिसके उस पार मजदूर हैं। डिक्स ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को निकाल लिया जाएगा।

-सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को जिन पाइप से निकाला जाना है, उनकी वेल्डिंग का काम चल रहा है। उत्तरकाशी के डीएम अभिषेक रुहेला ने बताया है कि सभी मशीनें काम कर रही हैं। पहले खबर आई थी कि खोदाई कर रही ऑगर मशीन खराब हो गई है।

-सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को पाइप के जरिए कपड़े, ब्रश और टूथपेस्ट भेजा गया था। मजदूरों ने आज नए कपड़े पहने और 11 दिन बाद टूथब्रश का इस्तेमाल किया। दो मजदूरों ने पेट में दर्द होना बताया। उनको दवा दी गई है। फंसे हुए सभी 41 मजदूरों पर कैमरे से नजर रखी जा रही है। उनसे लगातार बातचीत भी हो रही है।

-उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में 12 दिन से फंसे 8 राज्यों के 41 मजदूरों को बचाने का काम जल्दी शुरू होने की उम्मीद। खराब हुई ऑगर मशीन को ठीक करने दिल्ली से हेलीकॉप्टर के जरिए 7 तकनीकी विशेषज्ञ मौके पर पहुंचे हैं। मजदूरों तक पहुंचने में अभी करीब 12 मीटर की दूरी बची है।

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खराब हुई ऑगर मशीन ठीक करने तकनीकी विशेषज्ञ दिल्ली से सिलक्यारा सुरंग पहुंचे हैं।

-पीएमओ में सलाहकार रहे भास्कर खुलबे भी सिलक्यारा सुरंग पहुंच गए हैं। वो पिछले कई दिन से 41 मजदूरों को बचाने के काम पर नजर रख रहे हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी भी मौके पर ही मौजूद हैं।

-सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को सकुशल बचाने के लिए बाहर बाबा बौखनाथ का मंदिर भी स्थापित किया गया था। इस मंदिर में आज सुबह पूजा-अर्चना की गई।

-उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए चिकित्सा उपकरण भी मौके पर पहुंच गए हैं। इनमें व्हीलचेयर और अन्य सामान हैं। फिलहाल यहां खोदाई करने वाली ऑगर मशीन खराब हो गई है। जिसकी वजह से मजदूरों को बचाने का काम अभी रुका हुआ है। दिल्ली से हेलीकॉप्टर के जरिए 7 तकनीकी विशेषज्ञ पहुंचने वाले हैं। वे ऑगर मशीन को ठीक करेंगे और फिर मलबे में खोदाई कर पाइपलाइन को बिछाने का काम शुरू किया जाएगा। करीब 10 मीटर मलबे को अभी काटना बाकी है।

-उत्तराखंड के सिलक्यारा स्थित सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के बचाव अभियान में एक और रोड़ा अटक गया है। बताया जा रहा है कि जिस ऑगर मशीन से मलबे को काटकर पाइप बिछाई जा रही थी, वो खराब हो गई है। मशीन को ठीक करने के लिए दिल्ली से हेलीकॉप्टर के जरिए तकनीकी जानकारों को भेजा जा रहा है। ऑगर मशीन ठीक होने के बाद मजदूरों को निकालने का काम फिर शुरू होगा। पहले बताया जा रहा था कि कुछ घंटे में ही मजदूरों को बचाने का काम पूरा हो जाएगा।

-सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को निकालने का काम सुबह 8 बजे के करीब पूरा हो सकता है। सुरंग में मलबे को काटकर पाइप डाली जा रही है। 800 मिलीमीटर की पाइप डालने से इससे होकर मजदूर बाहर आएंगे। बचाव दल के मुताबिक फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए पाइपलाइन डाली जा रही है। देर रात ऑगर मशीन से मलबे को काटा जा रहा था। तभी मशीन के सामने स्टील की कुछ सरिया आ गईं। इन सरियों को गैस कटर से काटा गया है और अब फिर ऑगर मशीन काम कर रही है। ऑगर मशीन से मलबे को पूरा काटने  के बाद पाइपों को बिछा दिया जाएगा और मजदूर रेंगकर इस पाइप के जरिए बाहर आएंगे।

-सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को निकालने के बाद उनको निकटतम चिन्यालीसौड़ में स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाएगा। वहां उनके स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। चिन्यालीसौड़ के स्वास्थ्य केंद्र तक मजदूरों को ले जाने के लिए 41 एंबुलेंस को मौके पर लाया गया है। पूरे रास्ते दूसरे वाहनों का आवागमन बंद किया गया है। सिलक्यारा से चिन्यालीसौड़ तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इन मजदूरों को वहां ले जाने की तैयारी है। स्वास्थ्य केंद्र में सभी मजदूरों के लिए बेड की व्यवस्था की गई है।

uttarakhand ambulance

hospital beds

-सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों के बचाव कार्य पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी की नजर है। पीएम मोदी अब तक 5 बार उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से बात कर मजदूरों के बचाव अभियान की ताजा जानकारी ले चुके हैं। मोदी ने अपने दफ्तर यानी पीएमओ के अफसरों को भी मौके पर लगाया। यहां रेलवे के लिए सुरंग बनाने वाले इंजीनियर और विदेशी बचावकर्मी भी बुलाए गए थे। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी सीएम धामी के साथ मौके पर पहुंचे थे और मजदूरों के बचाव कार्य का जायजा लिया था।

-उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर को तड़के धंसाव हुआ था। इससे 60 मीटर दूरी तक मलबा सुरंग में फैल गया। इसी मलबे के पीछे मजदूर फंस गए। पहले से मौजूद पानी की पाइपलाइन के सहारे उनको ऑक्सीजन और लगातार भोजन दिया जाता रहा। इसके बाद बीते सोमवार को 800 मिलीमीटर की पाइपलाइन डालने में सफलता मिली। जिसके बाद मजदूरों को ठोस भोजन और अन्य जरूरी चीजों की सप्लाई की गई। कैमरे को उनतक पहुंचाकर हालचाल जाना गया। सभी मजदूरों के हौसले बुलंद हैं। वो खुद के बचाव के लिए हो रही कोशिश से काफी राहत महसूस कर रहे हैं।

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-सिलक्यारा सुरंग को नवोदय इंजीनियरिंग नाम की कंपनी बना रही है। इस कंपनी के काम के तरीके पर सवाल है। सवाल ये है कि जब इतनी लंबी सुरंग बनाई जा रही है, तो उसमें किसी हादसे की आशंका के कारण कोई भी एस्केप टनल क्यों नहीं बनाई गई? अगर एस्केप टनल बना दी गई होती, तो शायद मजदूरों को इतने दिन तक सुरंग में फंसे नहीं रहना पड़ता।