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West Bengal: चुनाव परिणाम के बाद बंगाल में जारी हिंसा को लेकर विहिप ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

West Bengal: पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद से राज्य में जारी हिमसा थमने का नाम नहीं ले रही है। इसी को लेकर बंगाल में सियासी गहमा गहमी भी तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप घनखड़ की तरफ से भी ममता बनर्जी को इस बावत अगाह कराया गया है। इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से एक पर्यवेक्षक की टीम को भी वहां हालात का जायजा लेने के लिए भेजा गया है।

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद से राज्य में जारी हिमसा थमने का नाम नहीं ले रही है। इसी को लेकर बंगाल में सियासी गहमा गहमी भी तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप घनखड़ की तरफ से भी ममता बनर्जी को इस बावत अगाह कराया गया है। इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से एक पर्यवेक्षक की टीम को भी वहां हालात का जायजा लेने के लिए भेजा गया है। जिसके रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अब ऐसे में राज्य के हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्व हिंदू परिषद की तरफ से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखा गया है।

Mamta Banerjee

श्री रामनाथ कोविंद
महामहिम राष्ट्रपति जी,
राष्ट्रपति भवन,
नई दिल्ली ।

विषय: पश्चिमी बंगाल में 2021 के चुनाव परिणाम आने के बाद से टीएमसी के कार्यकर्ताओं व जिहादियों के द्वारा की जा रही अभूतपूर्व हिंसा व अत्याचार।

आदरणीय महोदय,

पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों में सुश्री ममता बनर्जी की पार्टी विजयी हुई है। लोकतंत्र में जनता का निर्णय सर्वोपरि होता है। बंगाल की जनता का यह निर्णय सबको स्वीकार है। यह भी सच है कि चुनाव के बाद विजयी होने वाली पार्टी अपने प्रदेश की सम्पूर्ण जनता के प्रति जिम्मेवार होती है और अपने प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनायें रखने का उसका दायित्व हो जाता है।

दुर्भाग्य से पश्चिमी बंगाल में चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से वहां पर सत्तारूढ़ दल टीएमसी के कार्यकर्ताओं व जिहादियों ने जिस प्रकार हिंसा का तांडव चला रखा है, उससे पूरा देश चिंतित है। सुश्री ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही धमकियां दी थीं कि केंद्रीय सुरक्षा बल तो केवल चुनाव तक है और चुनावों के बाद तो उन्होंने ही सब देखना है। पश्चिमी बंगाल में अनियंत्रित राज्यव्यापी हिंसा पूर्वनियोजित है और ऐसा लगता है कि पुलिस व प्रशासन को कह दिया गया है कि वह इसकी अनदेखी करता रहे। पश्चिमी बंगाल के न्यायप्रिय नागरिको को मानो दंगाइयों के हाथों में सौंप दिया गया है। यह सब मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन की याद कराता है।

Mamta Banerjee jagdeep dhankhad

परिणामस्वरूप, तृणमूल कार्यकर्ताओं और जिहादियों के गठजोड़ से खुलेआम विपक्ष के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है। मालदा में तो दो भाइयो की हत्या करके उनके शव पेड़ से लटका दिए गये। घर जलाएं जा रहे, दुकाने लूटी जा रही है और महिलाओं के साथ अभद्र व्यव्हार हो रहा है। इस हिंसा का बड़ा निशाना अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग ही बन रहे है। कूचबिहार से सुंदरवन तक भय के वातावरण में वहां की हिन्दू आबादी को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस हिंसा का एक सुनियोजित जिहादी पक्ष है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।

भारत का संविधान राज्य सरकारों पर यह जिम्मेवारी सौंपता है कि वह अपने राज्य में कानून और व्यवस्था बनाये रखे और अपने राज्य के सब लोगो को कानून का योग्य संरक्षण दें। पश्चिमी बंगाल की सरकार इसमें विफल हो रही है। यह सब भारतीय संस्कृति और संविधान के सह-अस्तित्व के मूल्यों और कानून के शासन का उलंघन है।

सुश्री ममता बनर्जी के पिछले दो शासनकाल में भी वहां का हिंदू समाज त्रस्त रहा है, परंतु इसबार शासन काल का प्रारंभ जिस ढंग से हुआ है उससे पूरा देश यह समझ रहा है कि अगर इसी समय बंगाल के प्रशासन को नियंत्रित नहीं किया गया तो आगामी 5 साल में क्या होगा? हो सकता है कुछ स्थानों पर हिंदू समाज आत्मरक्षा के लिए स्वयं कुछ उपाय करने पर मजबूर हो जाए। दोनों ही स्थितियां पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं।

यह आवश्यक है कि:
(1) पश्चिमी बंगाल की हिंसा को तत्काल रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और कानून का शासन दोबारा स्थापित हो
(2) दंगाइयों की त्वरित पहचान हो और जल्दी जांच पूरी करके फ़ास्ट ट्रैक न्यायालयों में उनको दंड मिले
(3) दंगा पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए और उनको हुए नुक्सान की शासन भरपाई करे

महामहिम, ये सब विषय आपकी सजग दृष्टि से ओझल नहीं हो सकते। हमारा निवेदन है कि आप अपने संविधानप्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए इस विषय में योग्य कार्यवाही करने के आदेश दें।

भवदीय

आलोक कुमार, सीनियर एडवोकेट
केंद्रीय कार्याध्यक्ष
विश्व हिन्दू परिषद्