newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Jagdeep Dhankhar On Preamble Of Constitution: संविधान की प्रस्तावना में बदलाव का हवाला देकर जगदीप धनखड़ का आपातकाल पर हमला, उप राष्ट्रपति ने कहा- किसी और देश के…

Jagdeep Dhankhar On Preamble Of Constitution: इससे पहले आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए। उन्होंने कहा था कि संविधान की प्रस्तावना में हुए इस बदलाव को रद्द करना चाहिए। वहीं, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा था कि पंथनिरपेक्षता भारत का मूल नहीं है।

नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को आपातकाल पर बड़ा हमला बोला। जगदीप धनखड़ ने दिल्ली में किताब के विमोचन में कहा कि संविधान की प्रस्तावना में संशोधन नहीं किया जा सकता, लेकिन आपातकाल में प्रस्तावना में बदलाव किया गया। जगदीप धनखड़ ने कहा कि प्रस्तावना वो बीज है, जिस पर ये दस्तावेज विकसित होता है। उन्होंने कहा कि भारत के अलावा किसी अन्य देश के संविधान की प्रस्तावना में कभी बदलाव नहीं किया गया।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के संविधान की प्रस्तावनी को साल 1976 में 42वें संविधान संशोधन के जरिए बदला गया। उन्होंने कहा कि इस बदलाव के तहत संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्षता शब्द जोड़े गए। उन्होंने कहा कि बीआर आंबेडकर ने संविधान बनाने में कड़ी मेहनत की थी। उन्होंने इस पर जरूर ध्यान दिया होगा। बता दें कि जब भारत के संविधान को अंगीकार किया गया था, उस वक्त संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और पंथ निरपेक्ष शब्द नहीं थे। 25 जून 1975 को आपातकाल लागू होने के बाद संविधान की प्रस्तावना में बदलाव किया गया था।

आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव का मुद्दा उठाया था।

इससे पहले आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और पंथनिरपेक्ष शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए। उन्होंने कहा था कि संविधान की प्रस्तावना में हुए इस बदलाव को रद्द करना चाहिए। वहीं, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा था कि पंथनिरपेक्षता भारत का मूल नहीं है और इस शब्द को संविधान की प्रस्तावना से हटाया जाना चाहिए। वहीं, कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना पर उठे सवाल के मुद्दे पर आरोप लगाया कि आरएसएस ने कभी संविधान को स्वीकार ही नहीं किया। कांग्रेस ने कहा कि ये संविधान की आत्मा पर जानबूझकर किया गया हमला है। ऐसे में अब उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़े जाने संबंधी बयान आने से सियासत के और गर्माने के आसार हैं।