
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल को मोदी सरकार 1 अप्रैल को लोकसभा में पेश कर सकती है। संसद का मौजूदा सत्र 4 अप्रैल तक है। ऐसे में संसद के कामकाज के सिर्फ 4 दिन ही बचे हैं। माना जा रहा है कि सरकार की कोशिश ये रहेगी कि वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा से पास करा लिया जाए। इसके बाद इसे संसद के मॉनसून सत्र में राज्यसभा से भी पास कराया जाएगा। मीडिया की खबरों के मुताबिक वक्फ संशोधन बिल पर मोदी सरकार लोकसभा में विस्तार से चर्चा कराएगी। ताकि देश जान सके कि हर पार्टी की वक्फ संशोधन बिल पर क्या राय है। साथ ही चर्चा के दौरान सरकार का इरादा है कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्ष ने जो माहौल बना रखा है, उसको भी ध्वस्त किया जा सके।
वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू के अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अब तक कुछ नहीं कहा है। आंध्र प्रदेश के सीएम और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने बीते दिनों इफ्तार पार्टी में कहा है कि उनकी सरकार वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है। हिंदी अखबार दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक सरकार को अपने सहयोगी दलों जेडीयू, टीडीपी और चिराग पासवान की एलजेपी-आर से समर्थन हासिल है। इन दलों के सांसद भी वक्फ संशोधन बिल पर बनी जेपीसी में थे। ऐसे में सरकार को संख्याबल की कमी न होने का पूरा भरोसा है। बता दें कि मौजूदा मोदी सरकार मुख्य तौर पर जेडीयू और टीडीपी के समर्थन से ही चल रही है। क्योंकि बीजेपी के पास बहुमत की संख्या नहीं है।
बीजेपी के पास खुद बहुमत न होने के कारण विपक्षी दल इस उम्मीद में हैं कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू वक्फ संशोधन बिल का विरोध करें, तो ये पास नहीं हो सकेगा। यही उम्मीद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी और अन्य मुस्लिम संगठनों ने लगा रखी है। मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन बिल के संबंध में दो आपत्तियां मूल रूप से उठाई हैं। पहला कि वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिम सदस्यों की व्यवस्था क्यों की जा रही है? दूसरा ये कि सरकार इस वक्फ संशोधन बिल को पास कराकर वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हालांकि कह चुके हैं कि मुस्लिमों को आशंकित होने की जरूरत नहीं है। वो ये भी कह चुके हैं कि सरकार वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा नहीं करना चाहती है।