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Uddhav Vs Eknath: शिवसेना के दोनों गुटों की दशहरा रैलियों में उमड़ी भीड़, उद्धव और एकनाथ शिंदे में बयानों के खूब चले तीर, जानिए हर वार पर कैसा रहा पलटवार

पहली बार दशहरा के मौके पर बुधवार को शिवसेना की दो रैलियां मुंबई ने देखीं। एक तरफ शिवाजी पार्क के अपने पुराने स्थान पर उद्धव ठाकरे गुट की दशहरा रैली थी। वहीं, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स यानी बीकेसी ग्राउंड पर उद्धव से अलग होकर असली शिवसेना का दावा कर रहे सीएम एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक जुटे थे। इससे दोनों नेता उत्साहित दिखे।

मुंबई। पहली बार दशहरा के मौके पर बुधवार को शिवसेना की दो रैलियां मुंबई ने देखीं। एक तरफ शिवाजी पार्क के अपने पुराने स्थान पर उद्धव ठाकरे गुट की दशहरा रैली थी। वहीं, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स यानी बीकेसी ग्राउंड पर उद्धव से अलग होकर असली शिवसेना का दावा कर रहे सीएम एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक जुटे थे। दोनों ही जगह विशाल जनसमूह था। भीड़ अपार थी। जिसे देखकर उद्धव और एकनाथ शिंदे गदगद थे। भीड़ को दिखाकर उद्धव और शिंदे, दोनों ने ही दावा किया कि ये असली शिवसैनिक हैं। इस दौरान एक-दूसरे पर उन्होंने बयानों के तीर छोड़ने में कोई कसर नहीं रखी। उद्धव ने जहां एकनाथ शिंदे को कटप्पा और गद्दार कहा। वहीं, शिंदे ने भी इन आरोपों का अपने अंदाज में जवाब दिया। आपको बताते हैं कि दोनों नेताओं ने किस तरह एक-दूसरे पर निशाना साधा।

उद्धव ठाकरे: इस बार का रावण अलग है। कितने सिरों का नहीं, कितने खोके का बताइए। 50 खोके का ये खोकासुर है। ये कटप्पा है। जो कट करने वाले अप्पा, वही कटप्पा। शिवसैनिक कटप्पा को कभी माफ नहीं करेंगे।

एकनाथ शिंदे: वे मुझे कटप्पा कहते हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि कटप्पा का भी स्वाभिमान था। आपकी तरह दोहरा मापदंड नहीं था।

उद्धव ठाकरे: रावण की तरह शिंदे ने चेहरा बदला। गद्दारों को गद्दार ही कहेंगे। ये गद्दी हमारी है। उन्होंने हमें धोखा दिया है। यह सीएम पद 50 खोके का हो गया है।

एकनाथ शिंदे: गद्दारी तो हुई है, लेकिन गद्दारी हमने नहीं की। गद्दारी 2019 में हुई। आपने पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा, लोगों से वोट मांगे और फिर जनादेश का अपमान किया। चुनाव में एक तरफ बाल ठाकरे का फोटो और दूसरी तरफ पीएम मोदी का फोटो लगाया, लेकिन चुनाव के बाद कांग्रेस से हाथ मिला लिया। ये धोखा नहीं तो क्या है? आपने हिंदुत्व के साथ समझौता कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाई और सीएम बन गए।

उद्धव ठाकरे: मुझे सिर्फ एक बात बुरी लगी और गुस्सा आता है कि जब मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो जिन लोगों को मैंने राज्य की जिम्मेदारी दी, वे कटप्पा बन गए और हमें धोखा दिया। वे मुझे काट रहे थे। सोच रहे थे कि मैं अस्पताल से कभी नहीं लौटूंगा। ये सेना एक या दो की नहीं, बल्कि आप सभी की है। जब तक आप मेरे साथ हैं, मैं पार्टी का नेता रहूंगा।

एकनाथ शिंदे: ये आपकी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है। शिवसेना उन शिवसैनिकों की है, जिन्होंने इसके लिए अपना पसीना बहाया है। आप जैसे लोगों के लिए नहीं, जिन्होंने पार्टनरशिप की और उसे बेच दिया।

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दशहरा रैली में मंच पर एकनाथ शिंदे के साथ उद्धव के भाई जयदेव ठाकरे

एकनाथ शिंदे की दशहरा रैली की खास बात ये भी थी कि इसमें उद्धव के भाई जयदेव ठाकरे भी मंच पर मौजूद थे। उनके अलावा उद्धव के सबसे बड़े भाई दिवंगत बिंदुमाधव ठाकरे के बेटे निहार भी यहां थे। बाल ठाकरे के 27 साल तक करीबी रहे चंपा सिंह थापा भी शिंदे की रैली में दिखे। इस मौके पर जयदेव ठाकरे ने शिंदे गुट की दशहरा रैली को संबोधित किया। जयदेव ने शिंदे समर्थकों से कहा कि वो उनका साथ न छोड़ें, क्योंकि वो किसानों और आम लोगों के लिए काम कर रहे हैं।

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बीकेसी मैदान पर एकनाथ शिंदे गुट की दशहरा रैली पर उमड़े समर्थक

वहीं, शिंदे गुट की रैली के दौरान पहले रामदास कदम ने भी समर्थकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आपके भाई और चचेरे भाई (राज ठाकरे) भी आपके साथ नहीं हैं। अगर आप अपने परिवार को भी बरकरार नहीं रख सकते हैं, तो आप राज्य को कैसे बरकरार रखेंगे? कदम की तरह ही उद्धव की रैली में भी पहले बोलने वाले नेताओं ने शिंदे गुट पर जमकर तीर चलाए। कुल मिलाकर एक तरफ से वार हुआ, तो दूसरी तरफ से पलटवार में भी कोई कसर नहीं छूटी।