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TV Debate: वारिस पठान के बिगड़े बोल, लाइव डिबेट में कहा कि, मोदी बोलता है कि..

TV Debate: आज प्रतिष्ठित चैनल ‘एबीपी न्यूज’ पर हिजाब मुद्दे पर एक बहस हो रही थी, जिसमें बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी, वारिस पठान, शोएब जामेई प्रमुख रूप से मौजूद थे। बहस के दौरान हिजाब पर बात चल रही थी तो सुधांशु त्रिवेदी ने इसे ‘अरबी पहनावा’ बताया जिससे AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान भड़क गए और पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए काफी कुछ कहा।

नई दिल्ली। आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने तीन बुनियादी सवालों के आधार पर हिजाब मामले पर फैसला सुनाया जिसका सार यह था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं है, लिहाजा स्कूल-कॉलेजों में इसे पहन कर जाना जरूरी नहीं है। स्कूल-कॉलेजों में अनिवार्य ड्रेस-कोड का पालन आवश्यक है। ताजा अपडेट यह है कि हाई कोर्ट के इस फैसले पर कई पार्टियों ने असहमति जताई है, और अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया है। बहरहाल,  आज प्रतिष्ठित चैनल ‘एबीपी न्यूज’ पर इसी मुद्दे पर एक बहस हो रही थी, जिसमें बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी, एआईएमआईएम प्रवक्ता वारिस पठान, इंडिया मुस्लिम फाउंडेशन के अध्यक्ष शोएब जामेई प्रमुख रूप से मौजूद थे। बहस के दौरान हिजाब पर बात चल रही थी तो सुधांशु त्रिवेदी ने इसे ‘अरबी पहनावा’ बताया जिससे AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान भड़क गए और पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए काफी कुछ कहा। क्या कुछ हुआ आइए विस्तार से जानते हैं..


‘हिजाब तो 20-25 वर्ष पहले आया जो एक अरबी पहनावा है’ –  सुधांशु त्रिवेदी

भाजपा सांसद व प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी से जब पूछा गया कि ये ‘हिजाब विवाद’ तो काफी संवेदनशील मुद्दा था जिसे भाजपा बनाम अन्य बाकी पार्टियां बना दिया गया। अब हाईकोर्ट का फैसला आया है, लेकिन लोग सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। इसपर सुधांशु त्रिवेदी ने कहना शुरू किया कि,“ देखिए, सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार सबको है, सबके लिए रास्ता खुला हुआ है। पर मैं यह मानता हूं कि ये एक बिना वजह का विवाद खड़ा हुआ था, अगर आप देखें तो कोड ऑफ कंडक्ट है आपको एक ड्रेस कोड, हर जगह एक ड्रेस कोड लागू होता है तो उससे कोई समस्या नहीं होती है। लेकिन जितनी बच्चियां हैं उनके मां बाप ने उनको प्रेरित कर दिया या उकसा दिया कि हिजाब पहन के जाओ, इससे पहले कितनी हिजाब पहन के आती थीं। कितनों के फोटोज हिजाब पहन के उपलब्ध हैं। आज तो सोशल मीडिया भी है, आप सोशल मीडिया दिखा दें। पहले हिजाब कोई इश्यू नहीं था, लेकिन जैसे ही आदेश आया, वैसे ही इसपर राजनीति शुरू कर दी गई। हिजाब पर उदाहरण सिखों का दिया जाता है, लेकिन सिख हर जगह इसे धारण करते हैं। वे एंकरिंग कर रहे हों तो भी पगड़ी पहनेंगे, डिस्को जाएंगे तो भी पगड़ी पहनेंगे। बड़ी से बड़ी हस्ती मुस्लिम महिलाओं की भी फोटो मैंने ढंकी हुई नहीं देखी। यहां तक की बेनजीर भुट्टो अपने सर पर पल्ला रखती थी। अरे भाई! पल्ला रखना, दुपट्टा रखना एक अलग चीज है, हिजाब तो पिछले 20-25 वर्षों में आया है, जो एक अरबी पहनावा है।”


हिंदू लाल धागा बांधें तो ठीक, हमारी बहन-बेटियां हिजाब पहने तो नेशनल थ्रेट –वारिस पठान

अब जवाब देने की बारी वारिस पठान की थी। उन्होंने कहना शुरू किया कि मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से आदरसहित असहमति व्यक्त करता हूं। ये फैसला हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है। ये इक्वलिटी उपबंध का भी हनन करता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि, “हिजाब को सियासत में किसने लाया? 1400 साल से हिजाब पहना जा रहा है, और सुधांशु जी कह रहे हैं कि 24 सालों से ये है। उन्होंने कुरान का जिक्र किया और कहा कि हमारे कुरान में लिखा गया है कि पैगंबर कहते हैं कि अपने बच्चियों को ढांके। तो ये कैसे नहीं है अनिवार्य? ये है रिलीजन का पार्ट। लेकिन बीजेपी-आरएसएस को संविधान मानना कहां है, इनको पॉलिटिक्स यूज करना है। इनको इसमें भी चुनाव दिख जाता है। अचानक से एक दिन बीजेपी-आरएसएस ने सोचा कि हिजाब नहीं पहनने देना चाहिए बच्चियों को कॉलेजों के अंदर तो आदेश लेकर आ गए। वहां इनकी सरकार थी, अब मामला चला गया कोर्ट के अंदर। मैं सुधांशु जी से पूछना चाहता हूं कि क्या मुस्लिम बहन-बेटियां स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनकर जाएं तो इससे नेशनल सिक्योरिटी को क्या कोई खतरा है? आप बोलते हो, मोदी बोलता है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, लेकिन आपने तो शर्त रख दी कि या तो आप एजुकेशन लो या हिजाब पहनो?”