नई दिल्ली। मौसम विभाग ने अगले 4 से 5 दिन में देश के मैदानी इलाकों में शीतलहर की चेतावनी दी है। मौसम विभाग के अनुसार पहाड़ों में लगातार बर्फबारी के कारण मैदानी इलाकों में ठंड और बढ़ेगी। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तमाम जगह काफी बर्फबारी हुई है। आने वाले दिनों में इन तीनों राज्यों में और बर्फ गिरने की संभावना है। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग में सोमवार को भी काफी बर्फबारी हुई। श्रीनगर-लेह राजमार्ग इस बर्फबारी के कारण बंद होने की खबर है। वहीं, हिमाचल प्रदेश के शिमला, कुफरी, लाहौल और मनाली में भी बर्फ गिरी है। हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में कोहरे का अलर्ट भी जारी किया गया है।
#WATCH | Delhi: People stay in night shelter homes as winter season approaches.
(Visuals from a shelter home in RK Puram) pic.twitter.com/HaiOmSEPnm
— ANI (@ANI) December 9, 2024
VIDEO | Fog envelops Delhi as temperature dips in the national capital. Visuals from India Gate. The decrease in temperature follows light rains in parts of the city on Sunday evening.
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7)#DelhiWeather… pic.twitter.com/hMXpAI9t0l
— Press Trust of India (@PTI_News) December 10, 2024
वहीं, उत्तराखंड के केदारनाथ, बदरीनाथ और अन्य ऊंचाई वाले इलाकों में भी सोमवार को बर्फबारी हुई। इससे राज्य के पहाड़ी इलाकों के अलावा मैदानी क्षेत्रों में भी ठंड बढ़ी है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड में आगे भी बर्फ गिरना जारी रहने वाला है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फ गिरने के कारण पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी में तेजी से ठंड बढ़ने के आसार हैं। अभी इन सभी राज्यों में न्यूनतम तापमान में कमी आई है। आने वाले दिनों में कोहरे और ठंड के कारण मैदान के राज्यों में लोगों को ठिठुरना पड़ेगा।
मौसम विभाग ने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि इस साल कड़ाके की ठंड का उत्तर भारत को सामना करना पड़ेगा। मौसम विभाग ने इस साल ज्यादा ठंड पड़ने की भविष्यवाणी इसलिए की है, क्योंकि ला नीना प्रभाव सक्रिय है। ला नीना प्रभाव के कारण प्रशांत महासागर की सतह भी जमीन की तरह ठंडी होती है। भारत के मौसम पर इसका प्रभाव दिखता है। ला नीना प्रभाव के कारण ही इस साल मानसून के सीजन में औसत से ज्यादा बारिश देखी गई थी। इसके उलट 2023 तक एल नीनो का प्रभाव था। इस प्रभाव के कारण बारिश और ठंड में कमी देखी जा रही थी।