
बोलपुर। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन स्थित प्रसिद्ध जगह सोनाझुरी हाट में होली खेलने पर रोक लगा दी है। पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि सोनाझुरी हाट में होली खेलने पर प्रतिबंध पर्यावरण को बचाने के लिए लगाया गया है। पश्चिम बंगाल सरकार के वन विभाग के अनुसार शांतिनिकेतन के सोनाझुरी हाट में होली खेले जाने से वन क्षेत्र में हरियाली को नुकसान पहुंचने की आशंका है। इसी वजह से यहां होली खेलने पर रोक लगाने का फैसला किया गया है। बता दें कि शांतिनिकेतन की होली बहुत प्रसिद्ध है। इसे स्थानीय भाषा में दोलजात्रा कहा जाता है। सोनाझुरी में होली मनाने पर रोक लगाए जाने पर बीजेपी नेता सुभेंदु अधिकारी ने अपने अंदाज में सवाल उठाया।
West bengal: On West Bengal government has reportedly imposing a ban on Holi celebrations at Santiniketan’s Sonajhuri Haat, LoP in West Bengal Assembly Suvendu Adhikari says, “For the first time in 2025, a police meeting was held regarding Holi. The key issue is that another… pic.twitter.com/qV8kXgV8mu
— IANS (@ians_india) March 12, 2025
शांतिनिकेतन के पास स्थित सोनाझुरी हाट यूनेस्को की तरफ से विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में शामिल है। पश्चिम बंगाल वन विभाग ने सोनाझुरी हाट में कई जगह बैनर लगाकर लोगों से कहा है कि वो इस इलाके में होली न मनाएं। सोनाझुरी हाट में वाहन लाने पर भी वन विभाग ने रोक लगा दी है। वन विभाग के मुताबिक यहां होली उत्सव का कोई वीडियो भी कोई नहीं बना सकता। पश्चिम बंगाल वन विभाग ने शांतिनिकेतन के सोनाझुरी हाट में होली समारोह पर प्रभावी रोक के लिए बीरभूम जिले के प्रशासन और पुलिस से भी सहयोग मांगा है। साथ ही लोगों से आग्रह किया है कि वे इस इलाके में होली उत्सव का पालन न करें।
सोनाझुरी हाट काफी प्रसिद्ध है। यहां स्थानीय लोगों की तरफ से छोटा मार्केट भी लगाया जाता है। इसे खोई मेला कहते हैं। बीते करीब 20 साल से सोनाझुरी हाट में खोई मेला हो रहा है। यहां से होकर खोई नदी बहती है। जिसके नाम पर ही खोई मेला नाम रखा गया है। सोनाझुरी हाट इलाके में साल, सागौन और नीलगिरि के पेड़ हैं। ये जगह शांतिनिकेतन से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है। सोनाझुरी और खोई नदी पर रवींद्रनाथ टैगोर ने कई कविताएं और गीत भी लिखे थे। शांतिनिकेतन के आसपास ज्यादातर संथाल आदिवासी रहते हैं। इस इलाके का बाउल गीत भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। पूर्णदास बाउल इस विधा के विश्वस्तरीय गायक हुआ करते है।